पश्चिम बंगाल दंगों की आग में जल रहा है। लेकिन भाजपा की तरफ दंगों को शांत करने की कोशिश नहीं दिखाई दे रही है। उसके नेता संविधानिक पदों पर बैठकर भी निष्पक्ष तरीके से काम करते नहीं नज़र आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया लेकिन वो मुस्लिम इलाकों में नहीं गए।

बता दें, कि पश्चिम बंगाल में दंगों की शुरुआत रामनवमी के एक दिन बाद 26 मार्च से हुई। पश्चिमी बर्दवान जिले के आसनसोल और रानीगंज में 2 लोगों मारे गए हैं, वहीं कई अन्य लोग घायल हुए हैं। दर्जनभर से ज्यादा दुकानों में तोड़-फोड़ और आगज़नी करने की खबर है।

राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने शनिवार को दंगा प्रभावित आसनसोल और रानीगंज इलाकों का दौरा किया। इस दौरान राज्यपाल ने दंगा पीड़ितों से मुलाकात की। लेकिन अपने साढ़े चार घंटे के इस दौरे में राज्यपाल मुस्लिम बहुल इलाके में नहीं गए। गौरतलब है कि केशरी नाथ त्रिपाठी भाजपा के नेता भी हैं। वो उत्तरप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं।

जब पुलिस अफसरों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा राज्यपाल ने मुस्लिम बहुल इलाकों में जाने के लिए नहीं कहा।

जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने इसका जवाब ही नहीं दिया। राज्यपाल को केंद्र सरकार का प्रतिनिधि माना जाता है। उनके इस रवैय्ये से केंद्र की सरकार का रुख भी साफ़ होता है।

वहीं राज्यपाल के दौरे पर एक मुस्लिम स्कूल टीचर तारिक अनवर का कहना है कि हमनें सुना है कि राज्यपाल आए थे। हम उम्मीद कर रहे थे कि वह हमसे भी मिलेंगे। वह सरकार के मुखिया हैं ना कि किसी समुदाय के। वह हमारे इतने नजदीक आए, लेकिन हमारे इलाकों में नहीं आए। उन्हें कम से कम उस इमाम के पास तो जाना चाहिए था, जिसने दंगों में अपना बेटा खोया है।

दंगा प्रभावित इलाकों के एक पार्षद नसीम अंसारी ने कहा कि माननीय राज्यपाल आसनसोल में किसी भी अल्पसंख्यक इलाके में नहीं गए, हम नहीं जानते क्यों? वहीं अल्पसंख्यक इलाकों के छात्रों का कहना है कि वह दंगों के कारण अपनी परीक्षाएं नहीं दे पा रहे हैं। हमारी अपील है कि राज्यपाल हमें दोबारा परीक्षा देने का इंतजाम कराएं।

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