देश की अर्थव्यवस्था पर काले बादल मंडरा रहे है। मोदी सरकार द्वारा शुरू किये गए स्किल इंडिया प्रोग्राम पूरी तरह से विफल होता दिखाई दे रहा है। ऐसा सिर्फ विपक्षी नेताओं का कहना नहीं है बल्कि खुद एलएंडटी के चेयरमेन और नेशनल स्किल डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन के हेड एएम नाईक भी ऐसा मानते है कि सरकार की मेक इन इंडिया योजना के तहत ज्यादा नौकरियां नहीं पैदा हो पायी हैं।

द मिंट से बात करते हुए एएम नाईक ने सीधे सीधे प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया योजना पर ही सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया योजना के बारे में बहुत कहा गया और किया गया, लेकिन हम अभी भी सामान निर्यात करने के बजाय नौकरियां निर्यात कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि अभी हम स्किल्ड लेबर की सप्लाई के साथ कदमताल नहीं कर पा रहे हैं और इसकी वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आयी कमजोरी है। नाईक का कहना है कि हमें चीन की तरह तेज विकास करना होगा, क्योंकि हमारी जनसंख्या चीन के लगभग बराबर ही है।

इसके साथ ही नाईक ने कहा कि विदेशों से सामान आयात कराने की एक वजह यह भी है कि विदेशों से माल उधार मिल जाता है, जबकि देश की कंपनियों के पास फाइनेंस के ज्यादा विकल्प नहीं हैं, ऐसे में वह उधार माल नहीं दे पाती हैं और इसके चलते कंपनियां विदेशों से माल मंगवाना ज्यादा पसंद करती हैं।

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नाईक का मानना है कि चीन और अमेरिका के बीच जारी व्यापार युद्ध का भी हम फायदा नहीं ले रहे हैं। नाईक के अनुसार, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश इससे बखूबी फायदा ले रहे हैं और अपना माल निर्यात कर रहे हैं, लेकिन हम यहां भी फायदा नहीं ले पा रहे हैं।

बता दें कि स्किल डेवलेपमेंट की साल 2018 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, योजना के तहत देश के 11,035 ट्रेनिंग सेंटरों में 40 स्किल डेवलेपमेंट प्रोग्राम के जरिए उस साल 3.98 मिलियन युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन उनमें से सिर्फ 12% को ही रोजगार मिल सका। अब ऐसे में सवाल उठने लगे है कि क्या सिर्फ युवाओं को योजना के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी या फिर उन्हें रोजगार भी दिया जायेगा।

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