योगी सरकार आज 19 मार्च को अपने एक साल पूरे कर रही है। सीएम योगी और उनके कई मंत्री सरकार द्वारा किये गए कामों को गिनवाने में लगे हुए हैं। मगर बीते एक साल में स्वास्थ को लेकर योगी सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया जैसे होने का वादा किया गया। चाहे वो गोरखपुर में बच्चों की मौत हो या फिर किसी मरीज का पैर काटकर उसके सर के नीचे लगा देने की घटना।

बीजेपी ने सत्ता में आने से यानी की चुनाव के वक़्त स्वास्थ विभाग में बड़े बड़े वादे किये थे। मगर उनमें से किसी भी वादे ने अभी तक अस्पतालों तक नहीं पहुंच नहीं पाया है। राज्य के बनारस, गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज से लेकर फर्रुखाबाद में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर कई मरीजों की मौत की घटनाएं हो चुकी हैं।

वो घटना जिसे देख इंसानियत भी हुई शर्मसार  

योगी सरकार स्वास्थ्य मामले कितनी चुस्त दुरुस्त है इसका पता चला अगस्त के महीने में जहाँ सीएम योगी गृह-जनपद गोरखपुर के बीआरडी हॉस्पिटल में एक दिन के अंदर 60 से ज्यादा बच्चों की ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ा तो स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह इस मामले पर शर्मनाक बयान देते हुए कहा कि अगस्त में तो बच्चें मरते ही है। खूब हंगामा हुआ इस बयान की खूब निंदा की गई मगर मंत्री जी अपने कुर्सी पर बने रहे और गोरखपुर के बीआरडी अस्पतालों में मौत का सिलसिला जारी रहा।

उसके बाद हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय शहर वाराणसी के रानीलक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया। यहां एक मरीज के कटे पैर को तकिया बनाने का सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया। डॉक्टर और स्टाफ को निलंबित करने और जांच बिठाने की कार्रवाई शुरू हुई लेकिन इस खबर ने योगी सरकार में स्वास्थ्य विभागों की पोल खोलकर रख दी।

वही उन्नाव में बीते फरवरी महीने में जब उन्नाव के बांगरमऊ में खून की जांच के लिए एक कैंप लगाया गया। ब्लड सैम्पल लेने के बाद जब जांच की गई तो पहली बार मे 46 मरीज HIV पॉजिटिव पाए गए।

इन्ही सब वजहों से ‘हाईकोर्ट’ तक को सरकार को फटकार लगाना पड़ा राज्य की खराब स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और अजीत कुमार ने यहां तक कहा कि अगर एक शब्द में हमें राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को परिभाषित करना हो तो इसके लिए ‘राम भरोसे’ कहा जा सकता है’

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