इतिहास किसी को भी गलती सुधारने का मौका नहीं देता, इतिहास गलती करने वाले को हमेशा याद रखता है भले ही जनता उसे भूल जाए। इसीलिए इंदिरा गाँधी की इमरजेंसी भी इतिहास है, देश में हुए सैकड़ो दंगे भी, कठुआ और उन्नाव की घटनाएं भी इतिहास हैं। इसके साथ ही इतिहास में दर्ज हो रहा है आज का मीडिया जिसके बारे में आज के इतिहासकार अपनी कलम की स्याही जमकर खर्च करेंगे।

कठुआ और उन्नाव रेप की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है। लोग सड़कों पर उतर कर पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, मगर लोकतंत्र का चौथा खम्भा मीडिया ही इन रेप की घटनाओं को नजरंदाज कर रहा है।

ऊपर से मीडिया राहुल गाँधी पर सवाल उठा रहा है कि वो कठुआ-उन्नाव के लिए आधी रात में कैंडल मार्च करने आ गए लेकिन, ‘निर्भया’ के लिए प्रदर्शन क्यों नहीं करने गए थे!

मीडिया की ही भाषा में एक सवाल मीडिया के लिए है कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच में बहस करवा कर देश को क्यों बाँट रहे हो? बलात्कार, किसान, बेरोजगारी को अपने कार्यक्रम में दिखा कर देश को ले जाने में भागीदार क्यों नहीं बन रहे? समाज को बांटने का काम क्यों कर रहे हो, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक साबित होगा।

दरअसल, सरल शब्दों में समझा जाए तो मीडिया 2019 चुनाव की तैयारियों में जी जान से लगा हुआ है और वो सरकार बनवाने के चक्कर में अँधा हो चूका है। इसीलिए देश को बाँटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।

प्रमुख टीवी चैनलों के कार्यक्रम को देखने के बाद लगता है कि बेटियों का रेप, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी मूलभूत चीजें हिन्दू-मुस्लिम डिबेट के आगे बौनी हैं। क्योंकि ज़ी न्यूज़ “भगवा आतंक पर कांग्रेस की इंजीनियरिंग फेल”, आजतक “हिन्दू आतंकवाद पर माफी मांगेगी कांग्रेस?, न्यूज़ 18 इंडिया “हिन्दू आतंकवाद था झूठा” जैसे कार्यक्रम दिखाकर एक खास तबके को बरगलाने का काम शुरू कर चुके हैं।

यही टीवी कार्यक्रम देश में दंगे, रेप, चोरी, आत्महत्या का कारण बन रहे हैं, क्योंकि जब डिबेट से मीडिया असल मुद्दों को छोड़कर हिन्दू-मुस्लिम और आतंकवाद पर बहस करेगा तो बलात्कार और किसान, शिक्षा पर कौन बात करेगा? ऐसे कार्यक्रम दिखाकर कहीं ना कहीं मीडिया बलात्कारियों को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में फिर संदेह होता है कि बलात्कारियों के पक्ष में नारे लगाने वाले और ऐसे कार्यक्रम दिखाकर मुद्दे से भटकाने वालों में कैसे अंतर किया जाए?

सही मायनों में देखें तो बेटियों के लिए 1 दिन नहीं हिंदू-मुस्लिम टॉपिक पर लगातार डिबेट करती है ‘गोदी मीडिया’! इतिहास इन्हें मांफ नहीं करेगा।

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