बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पंचायत प्रतिनिधियों के एक दल ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इन पंचायत प्रतिनिधियों ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद से घाटी के हालात के बारे में बताया। अमित शाह को घाटी की स्थिति बताने के बाद पंचायत प्रतिनिधियों ने मीडिया से बात की।

लेकिन मीडिया से बातचीत के दौरान मोदी सरकार का झूठ सामने आ गया कि, जम्मू-कश्मीर में सबकुछ सामान्य है और किसी को कोई दिक्कत नहीं है। दरअसल कश्मीर के हरवान पंचायत के सरपंच जुबैर भट्ट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “डाउनटाउन श्रीनगर में मूवमेंट और कम्युनिकेशन एक गंभीर समस्या है। तेल राशन समेत जरुरत की चीजों की सप्लाई बाधित है।”

इसके साथ ही जुबैर भट्ट ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा, “प्रशासन पंचायतों को निर्माण कार्यों के लिए साल 2012 की डर से भुगतान कर रही है।” भट्ट के इतना बोलने भर के बाद बगल में खड़े केंद्रीय मंत्री डॉ जीतेन्द्र सिंह ने बीच में ही दखल देते हुए बात संभालने की कोशिश की और कश्मीर को हरसंभव मदद देने का वादा किया!

यानि जुबैर भट्ट के मुताबिक कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार के जितने भी दावे किए जा रहे हैं कि घाटी में हालात सामान्य हैं वो झूठे साबित होते हैं। जितने सरपंच गृहमंत्री शाह से मिलने आए थे उनमें से अधिकतर सरपंचों ने ऑन रिकॉर्ड बातचीत में ज्यादा शिकायतें नहीं कीं। मगर निजी और ऑफ रिकॉर्ड बातचीत में सरपंचों ने बताया कि वह डर के माहौल में जी रहे हैं। कश्मीरी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

श्रीनगर के एक सरपंच ने कहा कि, “जब पंचायत चुनाव हुए थे तो हम सब बहुत खुश थे। गिने-चुने परिवारों का वर्चस्व टूटा था और लोकतंत्र जमीनी स्तर पर पहुँच रहा था। लेकिन आर्टिकल 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद से हमें उन लोगों से छिपना पड़ रहा है, जिन्होंने हमें जितवाया। लोग हमें गद्दार कह रहे हैं।”

साभार- जनसत्ता

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