उत्तरप्रदेश में फर्ज़ी एनकाउंटर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालत अब ये हो गई है कि लोग मानवाधिकार आयोग के पास गुहार लगा रहे हैं। ऐसे कुछ नए मामले सामने आए हैं जिसमें सबूत एनकाउंटरों के फर्ज़ी होने का इशारा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने यूपी पुलिस द्वारा पिछले दिनों किए गए 4 एनकाउंटर की जांच शुरु कर दी है। दरअसल मारे गए लोगों के परिजनों ने इन एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए जांच की मांग की थी।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने जिन 4 मामलों की जांच शुरु की है, उनमें मुकेश राजभर, जय हिंद यादव, रामजी पासी और आदेश यादव के एनकाउंटर शामिल हैं। मुकेश राजभर, जय हिंद यादव और रामजी पासी जहां आजमगढ़ के रहने वाले थे। वहीं आदेश यादव इटावा का निवासी था।

मानवाधिकार आयोग का कहना है कि चारों एनकाउंटर में यूपी पुलिस ने एक जैसी ही एफआईआर दर्ज की हुई है। जिसके मुताबिक संदिग्ध मोटरसाइकिल पर जा रहे थे, जिस पर एक पुलिस टीम ने चेकिंग के दौरान उन्हें रोकना चाहा, इसके बाद संदिग्धों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। इसके जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की, जिसमें संदिग्ध की मौत हो गई और उसका एक साथी भागने में सफल हो गया।

पुलिस ने मुठभेड़ में बाइक और हथियार बरामद दिखाए हैं। वहीं इन मुठभेड़ों में पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

बता दें, कि पिछले साल 20 मार्च से लेकर अब तक यूपी पुलिस एनकाउंटर में लगभग करीब 43 लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है। इनमें से 10 का एनकाउंटर तो इसी साल किया गया है। इन बढ़ रहे एनकाउंटर के कारण राज्य के योगी सरकार पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं।

ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस कार्रवाई मिली छूट की आड़ आपसी दुश्मनी निकाल रही है। साथ ही विशेष जाती के नौजवानों को भी निशाना बनाने के आरोप यूपी पुलिस पर लगे हैं।

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