पिछले कुछ सालों से सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर यूआरएल को बंद करने के मामले जिस तरह बढ़े हैं उससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने नवंबर 2017 तक कुल 1,329 सोशल मीडिया यूआरएल को कथित तौर पर ब्लॉक कर दिया गया था या हटा दिया था।

इसमें कोई शक नहीं है कि सोशल मीडिया भड़काऊ कंटेंट और सांप्रदायिक, गाली-गलोच करने वाले लिखित व तस्वीरों वाले पोस्ट का अड्डा बनता जा रहा है। इसे लेकर कई बार कार्रवाई की भी मांग उठी है। लेकिन इस संदर्भ में सरकार जो कार्रवाई कर रही है वो सोशल मीडिया से भड़काऊ सामग्री हटाने की कम और अपने विरोध में उठ रही आवाज़ों को बंद करने की ज़्यादा नज़र आती है।

सरकार इस प्रतिबन्ध को वेब 2.0 की सेंसरशिप सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम 2000 की धारा 79 (3) (बी) के तहत अंजाम दे रही है।

सरकार की मंशा पर शक यहाँ से उठता है कि एक तरफ कंटेंट हटाने को लेकर सोशल मीडिय कंपनियों से किए गए सरकार की ओर से अनुरोध में इज़ाफा हुआ वहीं यूआरएल ब्लॉक करने के अदालत की तरफ से दिए गए आदेश में कमी दर्ज की गई।

432 यूआरएल को 2014 में अदालत के आदेशों के बाद ब्लॉक कर दिया गया या हटा दिया गया। वर्ष 2016 में कुल 100 यूआरएल अदालत के आदेशों के बाद ब्लॉक कर दिए गए और यह संख्या नवंबर 2017 तक घटकर 83 रह गई थी।

मतलब न्यायालय द्वारा यूआरएल ब्लॉक करने के अनुरोध की संख्या में कमी आ रही है लेकिन सरकार अपने विवेक से ज़्यादा यूआरएल ब्लॉक कर रही है। ये आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा सरकार अपने खिलाफ उठ रही आवाज़ों के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग कर कार्रवाई कर रही है।

सोशल मीडिया इस समय विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ा राजनीतिक मंच बनकर उभरा है। अपने-अपने राजनीतिक और सामाजिक नज़रिए को लेकर सोशल मीडिया पर वर्तमान में कई पेज बने हुए हैं। उनपर लोग अपने विचारों को सबके सामने लाने के साथ-साथ मुद्दों पर डिबेट भी करते हैं। ये देखा जा रहा है कि उन लोगों को निशाना बनाया गया है जो भाजपा की विचारधारा से सहमती नहीं रखते। वहीं उन लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है जो सोशल मीडिया पर गालीगलोच करते हैं लेकिन भाजपा के समर्थक हैं।

सोशल मीडिया पर पहले से चल रही है निगरानी –

26 सितंबर, 2017 को फेसबुक ने मोहम्मद अनस नाम के एक पत्रकार के खाते को 30 दिनों तक के लिए ब्लॉक कर दिया। अनस ने गुजरात के एक व्यापारी के एक कैशमेमो की एक तस्वीर साझा किया था। इस कैशमेमो के नीचे लिखा था: “कमल का फूल हमारी भूल”। जब ये कैशमेमो वायरल हो रहा था उसके कुछ समय बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले थे।

इसी प्रकार फेसबुक पर एक बेहद लोकप्रिय पेज “ह्यूमन्स ऑफ हिंदुत्व” के नाम से था जिसने खुले तौर पर व्यंग्यपूर्ण पोस्ट में भाजपा सरकार और आरएसएस के हिंदू कट्टरपंथी विचारधारा की आलोचना की था। इसे भी पिछले साल अस्थायी रूप से ब्लॉक कर दिया गया था।

वहीं गौरी लंकेश जैसी जानीमानी महिला पत्रकार को “कुतिया” कहने वाले निखिल दधीच के अकाउंट को अबतक ब्लॉक नहीं किया गया। बल्कि इस व्यक्ति को प्रधानमंत्री मोदी स्वयं फॉलो करते हैं। इस आपत्तिजनक टिप्पड़ी के बाद भी पीएम मोदी ने इस व्यक्ति को फॉलो करना नहीं छोड़ा।

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