Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग के बाद जहां पूरा देश इसरो के वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर नाज़ कर रहा है, वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने देश को गौर्वांवित करने वाले इन वैज्ञानिकों के वेतन में कटौती कर दी है। इस कटौती के ख़िलाफ़ वैज्ञानिकों ने इसरो के चेयरमैन को पत्र लिखा है।

इसरो के वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन को पत्र लिखकर मांग की है कि वे इसरो वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती करने वाले केंद्र सरकार के आदेश को रद्द कराने में उनकी मदद करें।

इससे पहले मोदी सरकार ने 12 जून को एक आदेश जारी कर कहा था कि इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को साल 1996 से मिलने वाले दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि को बंद किया जा रहा है। बता दें कि इसरो वैज्ञानिकों के लिए दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि की अनुमति राष्ट्रपति ने दी थी। ताकि देश में मौजूद बेहतरीन टैलेंट्स को इसरो वैज्ञानिक बनने का प्रोत्साहन मिले।

चांद पर झंडा लहराने वाले ISRO के वैज्ञानिकों के वेतन में कटौती, बोले- मोदी सरकार के इस फैसले से दुखी

ये अतिरिक्त वेतन वृद्धि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1996 में अंतरिक्ष विभाग ने लागू किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा था कि इस वेतन वृद्धि को स्पष्ट तौर पर ‘तनख्वाह’ माना जाए।

SEA के अध्यक्ष ए. मणिरमन ने पत्र में कहा है कि सरकारी कर्मचारी की तनख्वाह में किसी भी तरह की कटौती तब तक नहीं की जा सकती, जब तक बेहद गंभीर स्थिति न खड़ी हो जाए। तनख्वाह में कटौती होने से वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आएगी। हम वैज्ञानिक केंद्र सरकार के फैसले से बेहद हैरत में हैं और दुखी हैं।

इस मामले को लेकर शायर एवं कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा तंज़ किया है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “उधर वैज्ञानिक बेचारे चॉंद पर तिरंगा लहराने में व्यस्त थे, इधर सरकार ने बेचारों की तनख़्वाह में कटौदी कर दी ! क्या ख़ूब इनाम दिया है मोदी जी”।

साभारः आजतक

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