मैं ऐसा समझता हूं कि आजकल ऐसे नेतृत्व की बहुत आवश्यकता है जो सिद्धांतों के साथ बेबाकी के साथ और बिना इस बात की चिंता किए हुए कि प्रधानमंत्री नाराज होंगे या खुश होंगे, अपनी बात साफ-साफ कहते हैं, उनसे बहस करते हैं। ऐसा कहना है केंद्र की राजनीति से लगभग दूर हो चुके और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी का जिन्होंने इशारों इशारों में अपनी पार्टी के नेताओं की नसीहत दी है।

दरअसल बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एस जयपाल रेड्डी के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में शिरकत करने पहुंचे थे। जहां उन्होंने रेड्डी को याद करते हुए कहा कि रेड्डी आखिरी समय तक मुखर होकर अपने विचार रखते थे, उन्होंने हर स्तर पर, हर फोरम पर अपनी राय रखी फिर चाहे वह फोरम के सदस्य हों, जनता पार्टी के सदस्य हों या कांग्रेस पार्टी के सदस्य हों। उन्होंने मुद्दों से कभी समझौता नहीं किया।

जोशी ने ये बयान ऐसे वक़्त में दिया है जब विपक्षी नेता या तो जेल जा रहें है और या तो खामोश है। ऐसे में मुखर होकर कौन बोलेगा और जो बोलेगा उसपर क्या एक्शन नहीं लिया जायेगा?

इसलिए ज्यादातर विपक्षी नेता शांत बैठे हुए है और रही बात बीजेपी नेताओं कि तो कीर्ति आजाद और शत्रुघन सिन्हा जैसे नेताओं को बीजेपी ने बाहर का रास्ता भी सिर्फ इसलिए दिखाया क्योंकि वो प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी की फ़िक्र किए बिना सरकार के तमाम फैसलों पर जमकर हमला बोला था।

ऐसे में सवाल उठता है कि मुरली मनोहर जोशी किसे नसीहत दे रहें है अपनी पार्टी के नेताओं को जो दिन रात प्रधानमंत्री के किसी भी फैसलों से खुश रहते है। चाहे वो नोटबंदी या जीएसटी जैसे जटिल फैसले या फिर पेट्रोल डीजल के बढ़ते इन जैसे मुद्दों पर कोई भी बीजेपी नेता बोलने से डरता है कि कहीं वो दरकिनार ना कर दिया जाये।

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