देश की अर्थव्यवस्था का हाल दिन-प्रतिदिन बुरा होता जा रहा है। एक के बाद एक नए आर्थिक झटके बाजार झेल नहीं पा रहा है और निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उधर केंद्र सरकार संकट को रोकने में नाकाम नज़र आ रही है और इस तरह के माहौल को देखकर अब निवेशक भारतीय बाज़ार से अपना पैसा निकाल रहे हैं।

शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है। गुरुवार से अब तक शेयर बाजार में निवेशकों के करीब 1.50 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा डूब चुके हैं। बाजार में बीएसई और निफ्टी दोनों का बुरा हाल है।

शेयर बाजार में ढाई फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई है। ये सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है बल्कि लगातार रूपये के टूटने से बाजार की तस्वीर बिगड़ती जा रही है। हाल ये हो गया है कि अकेले सितंबर में बाजार की गिरावट के चलते निवेशकों को करीब 13.57 लाख करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है।

इतने बड़े नुकसान के बाद अब निवेशक भारतीय बाजार में पैसा नहीं लगाना चाह रहे हैं। इसका असर भी अब देखा जा रहा है। इसके चलते निवेशक तेजी से बिकवाली करते हुए अपना पैसा निकाल रहे हैं। अकेले बुधवार 3 अक्टूबर को ही विदेशी निवेशकों ने करीब 1500 करोड़ रुपये की बिकवाली की। बाजार को आशंका है कि आने वाले दिनों में इस बिकवाली में और तेजी आएगी।

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शेयर बाजार में गिरावट की जो मुख्य वजहें हैं उनमें सबसे ज्यादा हानिकारक है रुपये की कमजोरी। बुधवार को रुपया ऐतिहासिक गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 73.70 रुपये के आसपास पहुंच गया। रुपये में गिरावट का सीधा मतलब होता है कि विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में निवेश फायदे का सौदा नहीं रहा।

इसके अलावा आईएल एंड एफएस भी ऐसा कारण है जो देसी निवेशकों को बाजार आने से रोक रहा है। आईएल एंड एफस मामले में बैंकों और एलआईसी पर मंडरा रहे खतरे के साथ ही सरकारी नियामकों की अनिश्चितता से भी देसी निवेशक बाजार आने में हिचक रहे हैं।

बता दें, कि आईएल एंड एफएस भारत के वित्तीय क्षेत्र की सबसे बड़ी सरकारी नॉन-बैंकिंग कंपनी है। ये बुरी तरह से कर्ज में डूब चुकी है और 91000 करोड़ रुपए की देनदारी के नीचे दबी हुई है।

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