क्या इस बात की कल्पना भी की जा सकती है कि एक नेता किसी राज्य का लगातार 20 सालों तक मुख्यमंत्री रहा उसके बाद भी उसके पास अपना मकान नहीं है। वर्तमान भारतीय राजनीति में क्या कोई ऐसा नेता बचा है जो पार्टी कार्यालय में अपनी पत्नी के साथ रहता हो?

20 सालों तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे माणिक सरकार के पास रहने को घर नहीं है। सत्ता से बाहर होने के बाद उन्होंने सरकारी आवास छोड़ दिया है। अब माणिक सरकार सीआईएम के कार्यालय में अपनी पत्नी के साथ रहेंगे।

माणिक सरकार की छवि देश के सबसे गरीब और ईमानदार मुख्यमंत्री के तौर पर रही है। देश में सांसद, विधायक यहां तक कि ग्राम प्रधान बनने के बाद लोग बेहिसाब संपत्ति अर्जित कर लेते हैं। लेकिन, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार की कहानी इससे ठीक उलट है। पांच बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उनकी संपत्ति के आकड़े जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

माणिक सरकार द्वारा 29 जनवरी को दाखिल हलफनामे मुताबिक, उनके बैंक खाते में 20 जनवरी तक 2410 रुपये थे। वर्ष 2013 में उनके पास 9,720 रुपये थे। इसका मतलब यह हुआ कि पिछले पांच वर्षों में उनकी संपत्ति में बहुत कमी आई है।

माणिक सरकार को वेतन के तौर पर 26,315 रुपये मिलते थें। लेकिन वो अपना पूरा वेतन पार्टी फंड को दान में दे दिया करते थें, इसके इसके बदले में पार्टी की ओर से उन्हें जीवन-यापन के लिए 9,700 रुपये प्रति माह दिया जाता था।

सरकार जाने के बाद माणिक सरकार के पास अपने रहने के लिए आवास भी नहीं है। माणिक ने अपना पैतृक आवास अपनी बहन को दान कर दिया था। माकपा की राज्य इकाई के सचिव बिजन धर ने संवाददाताओं को बताया कि माणिक सरकार ने मार्क्स एनगल्स सरानी स्थित अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया है। अब वह यहां से करीब 500 मीटर दूर स्थित पार्टी ऑफिस में रहेंगे।

माकपा कार्यालय के सचिव हरिपद दास का कहना है कि ‘उन्होंने किताबें, कपड़े और कुछ सीडी पार्टी कार्यालय में भिजवा दिए हैं। अगर नई सरकार उन्हें सरकारी आवास आवंटित करती है तो वह उसमें जा सकते हैं।’

आम आदमी पार्टी की नेता अलका लांबा ने ट्वीट किया है कि ‘जो राजनीति में रहते हुए अपनी सम्पति/काला धन नहीं बना पाया, उसके लिये आज की बईमान राजनीति में कोई जगह नहीं।

बेईमानों ने अच्छा किया जो बेईमानी से इस एक ईमानदार को हरा डाला। अब चाहे त्रिपुरा के माणिक सरकार हों या मणिपुर की शर्मिला इरोम। #त्रिपुण की आग (BJP) मुबारक हो।’

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