सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत पर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। वहीं सुनवाई के वक़्त महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि जस्टिस लोया की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण है और इस मामले याचिका भी राजनीति के तहत दायर की गई है। सरकार ने कोर्ट में एक और बात सामने रखी है की जब जज लोया की मौत हुई तब वहां पर 4 जज मौजूद थे।

सरकार की तरफ से वकील हरीष साल्वे ने कहा कि इस मामले की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से यह स्थापित होगा कि जस्टिस लोया की हत्या के पीछे षड़यंत्र में सभी चार जज भी शामिल हैं। ऐसी दलील पेश करके इस केस को नया रंग देने की कोशिश की गई।

सरकार ने मेडिकल रिपोर्ट के साथ साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पेश करते हुए कहा कि जब लोया को अस्पताल लाया गया तो उनकी मृत्यु हो चुकी थी।

साल्वे ने कहा कि एक व्यक्ति के लिए पूरे सिस्टम को नचाया जायेगा तो ऐसे में न्यापालिका बंद हो जाएगी। उन्होंने केस में नई दलील लाकर जजों पर ही हत्या की साजिश रखने की बात कहते हुए कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में कई तरह के आरोप लगाए गए।

क्या जस्टिस लोया के साथ जो जज मौजूद थे उन्होंने उन्हें अंतिम समय में छोड़ दिया था, क्या वह भी हत्या में दोषी हैं।

फिलहाल कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनते हुए इस मामले का फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया है। अब देखना ये है सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे क्या फैसला सुनाता है।

लेकिन देखने वली बात ये है कि साल्वे ने उन चार जजों पर हत्या की साजिश की तलवार लटका दी है जिन्होंने लोया की मौत पर खुद सवाल भी खड़े किये थे।

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