जम्मू-कश्मीर से बीते कई दिनों से किसी ‘बड़े एक्शन’ की ख़बरें आ रही हैं। हाल ही में हो रहे घटनाक्रमों के ज़रिए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि हो सकता है केंद्रीय सरकार आर्टिकल 35-A और 370 को खत्म करने की कोशिश में लगी हो।

यूँ तो जम्मू-कश्मीर के गवर्नर ने उमर अब्दुल्ला से मुलाकात कर बोला है कि सरकार की ऐसा करने की कोई मंशा नहीं है। फिर भी सवाल बना हुआ है- क्या मोदी सरकार आर्टिकल 35-A और 370 को खत्म करके राज्य की जनता की ‘आज़ादी’ छीनना चाहती है?

सरकार क्यों है शक के घेरे में?

सरकार के नकार देने के बावजूद मीडिया में ख़बरें बनी रही कि कश्मीर में हज़ारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की 10,000 टुकड़ियों की तैनाती के एक हफ्ते से भी कम समय बाद करीब 25,000 अर्धसैनिक बल के जवानों को भी तैनात किया जा रहा है।

गवर्नर सत्यपाल मलिक से मुलाकात करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बात-चीत की। उन्होनें गवर्नर के यकीन दिलाने के बावजूद कहा कि केंद्र सरकार को इन सभी घटनाक्रमों पर टिप्पणी करनी चाहिए और अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए।

राज्य में कुछ और घटनाएँ हैं जिसके कारण सरकार पर सवाल उठ रहे है। कॉलेज के छात्रों को अपने हॉस्टल खाली करने का आदेश भी जारी किया गया था। कश्मीर पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रशासन ने नोटिस जारी करते हुए कहा था कि सभी छात्रों को कॉलेज हॉस्टल को जल्द-से-जल्द खाली करना है।

इसी के साथ-साथ अमरनाथ यात्रा को रोकने के फैसले के ज़रिए भी सरकार पर सवाल उठाए जा रहे थे। हालाँकि, लेटेस्ट जानकारी है कि इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने आतंकवादी हमले होने का शक जताया था जिसके कारण अमर नाथ यात्रा को रोकना पड़ा और साथ ही में कश्मीर में जवानों को तैनात कराया गया।

विपक्षी नेताओं का क्या है कहना?

PDP पार्टी की चीफ़ महबूबा मुफ़्ती ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होनें कहा कि, “घाटी एक बार फिर से खतरे में है. ये अजीब बात है कि केंद्रीय सरकार ने लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं कोई और ना ही हो रहे घटनाक्रमों पर कुछ स्पष्टीकरण दिया है

युवा नेता शेहला रशीद का कहना है कि सरकार द्वारा कश्मीरियों को अजीब और ग़रीब फ़रमान जारी किए जा रहे हैं।”

अब सवाल उठता है कि क्या सरकार वाकई में आर्टिकल 370 और 35 A को किसी तरह से खत्म करने की कोशिश में है? आखिरकार गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में कहा था कि Article 370 अस्थायी है। और अगर सरकार की ऐसी मंशा नहीं है, तो इतनी उथल-पुथल के बीच उनकी तरफ से कोई स्पष्टीकरण क्यों जारी नहीं हुआ है?

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