गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का आज उद्घाटन है। 182 मीटर ऊंची इस प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। बताया जा रहा है कि यह अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन”। उन्होंने लिखा सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके ज़रिए लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जंगे-आज़ादी के जिन नायकों को आज़ादी के बाद भुला दिया गया, उन्हें उनकी पार्टी पूरे सम्मान के साथ याद कर रही है।
वह अपनी कई रैलियों में इस बात का दावा कर चुके हैं कि आज़ादी के बाद देश की कमान संभालने वाली कांग्रेस ने सरदार पटेल को भुला दिया। कांग्रेस ने सरदार पटेल को वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वह हक़दार थे।
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हालांकि कांग्रेस पीएम मोदी के इन आरोपों को बेबुनियाद बताती है। कांग्रेस का कहना है कि सरदार पटेल भी कांग्रेसी थे। वह हमेशा से पार्टी के साथ रहे। उनका पार्टी से कोई मतभेद नहीं था।
कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के पास जंगे-आज़ादी का अपना कोई नायक नहीं है, इसलिए वह दूसरों के नायकों को अपना बता रही है।
दलित नेता एवं गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी पीएम मोदी के आरोपों का ट्विटर के ज़रिए जवाब दिया है।
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एक हकीकत : सरदार पटेल साहब 26 साल तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस के प्रेसिडेंट रहे लेकिन आर.एस. एस. में 26 दिन भी नहीं गए। यानी, वैचारिक तौर पर मोदी और सरदार पटेल बिलकुल ही दूसरे छोर पर थे।#StatueOfUnity #SardarVallabhbhaiPatel @aajtak @ndtv @ZeeNewsHindi
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) October 31, 2018
उन्होंने लिखा, “एक हकीकत: सरदार पटेल साहब 26 साल तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस के प्रेसिडेंट रहे लेकिन आर.एस. एस. में 26 दिन भी नहीं गए। यानी, वैचारिक तौर पर मोदी और सरदार पटेल बिलकुल ही दूसरे छोर पर थे।