गुजरात के वडगाम से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरएसएस जैसे दक्षिणपंथी संगठनों को अपने निशाने पर लिया है।

देेशभर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि जिस मंशा से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया और बीजेपी वालों ने उन्हें अर्बन नक्सल का नाम दिया वो अपने आपमें ही कई सवाल खड़े करती है।

हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों को राहत दिया है। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल नहीं भेजा गया मगर 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट में रहना होगा।

इस मामले में गुजरात से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरएसएस जैसे दक्षिणपंथी संगठनों को अपने निशाने पर लिया है।

गुजरात दंगों को याद करते हुए जिग्नेश ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘जिन्होंने 50 सालों तक तलवारें और त्रिशूल बांटे है, 2002 के दंगो के वक़्त गर्भवती बहनों के पेट चीरे हैं वह ‘अर्बन नक्सल’ नहीं है।

मगर जो बाबा साहब और भगतसिंह को पढ़ते-पढ़ाते हैं, उनके रास्ते पर चलते है उन्हें अर्बन नक्सल कहते हो? शर्म करो संघियों।’

बता दें कि पिछले साल 31 दिसंबर को एक कार्यक्रम के बाद भीमा कोरेगांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा हुई, जिसकी जांच के नाम पर ये छापे मारे गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों पर भड़के रामचंद्र गुहा, बोले- अमीरों के लिए आदिवासियों की आवाज़ दबा रही है मोदी सरकार

सुरक्षा अधिकारियों ने पहले दावा किया था कि दो पत्र मिले हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की माओवादियों की साजिश का खुलासा हुआ है।

इसी को आधार बनाकर तमान सामाजिक कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है।

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