आज जो सीरिया में हो रहा है वह भविष्य में कई दूसरे देशों में भी हो सकता है। जब संवाद ख़त्म हो जाता है तो गृहयुद्ध का ख़तरा बिलकुल करीब दिखने लगता है। पिछले सात सालों में सीरिया के गृहयुद्ध ने लाखों लोगों की जान ली है।
पिछले एक सप्ताह में ही 120 से ज़्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं। युद्ध का महिमा-मंडन करने वालों को मालूम होना चाहिए कि सीरिया के बच्चे अपने ही देशवासियों की बंदूकों से निकली गोलियों से मारे जा रहे हैं।
युद्ध से सिर्फ़ और सिर्फ़ हथियारों के व्यापारियों और जनता का शोषण करने वाले सत्ताधारियों का फ़ायदा होता है। हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी जो धर्म, समुदाय आदि के नाम पर एक नकली दुश्मन खड़ा करके हथियारों के व्यापारियों के एजेंट के रूप में काम करते हैं।
अगर हमें अपने देश को सीरिया जैसी हिंसा से बचाना है तो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान के मूल्यों का भद्दा मज़ाक उड़ाने से रोकना होगा। विनय कटियार जैसे भाजपाई कितनी आसानी से मुसलमानों को देश से चले जाने की बात कह देते हैं। ऐसी बातें ही देश को गृहयुद्ध की तरफ़ ले जाती हैं।
गृहयुद्ध में क्या होता है, यह हम सीरिया की भयानक तस्वीरें देखकर समझ सकते हैं। 2022 तक देश में 10 करोड़ नौकरियाँ पैदा करने की बात करने वाले लोग अब राम मंदिर और हिंदू-मुसलमान का राग अलापने लगे हैं।
उनका यह राग असल में एक ऐसे भयानक शोर का रूप ले चुका है जिसमें असली सवाल दबकर रह जाते हैं।