रोज़गार को लेकर मोदी सरकार का प्रदर्शन बहुत ख़राब नज़र आ रहा है। रोज़गार पर अपने वादे के अलावा पिछली सरकार के मुकाबले भी प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बुरी स्तिथि में है।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) और अन्य रोज़गार सर्वे के मुताबिक यूपीए-1 के दौरान 2004-09 में  27 लाख नौकरियां देश में पैदा हुई। वहीँ यूपीए-2 के शुरुआती दो सालों 2009-11 के दौरान 18 लाख 80 हज़ार नौकरियां पैदा हुई।

जबकि मोदी सरकार के शुरूआती तीन साल में केवल 7.9 लाख नौकरियां ही पैदा हुई हैं। सरकार के चौथे साल 2017-18 का आकड़ा अभी आना बाकी है लेकिन नोटबंदी और जीएसटी से बाज़ार पर पड़े प्रभाव के कारण इस साल का प्रदर्शन पहले से भी खराब हो सकता है।

गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। इसके कारण 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी संख्या में युवाओं ने वोट दिया था। भारत में विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी है। लेकिन स्तिथि पहले से भी ख़राब होने के कारण इस लोकसभा चुनाव में युवा भाजपा को बड़ा झटका दे सकते हैं।

मोदी सरकार के कार्यकाल में नौकरियों के साथ ही व्यवसाय में भी गिरावट आई है। प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत मोदी सरकार के कार्यकाल में छोटे उद्यमों या कारखानों के व्यवसाय में 24.4% की गिरावट आई है।

मोदी सरकार के दौरान महिलाओं के लिए भी रोज़गार अवसर काफी कम हो गए हैं। महिलाओं के लिए रोज़गार अवसर अब केवल 1% रह गए हैं।

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