उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया टीम के लिए काम कर रहे सूचना निदेशालय में तैनात पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या कर ली है।

इस खबर के सामने आने के बाद योगी सरकार में हड़कंप मच गया है। पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या करने से पहले 2 पेज का सुसाइड नोट लिखा था।

जिसमें यह कहा गया है कि मेरी आत्महत्या एक मर्डर है। जिसका जिम्मेदार उन्होंने शैलजा और पुष्पेंद्र सिंह को ठहराया है। जोकि पार्थ श्रीवास्तव के सीनियर अधिकारी हैं।

इस सुसाइड नोट में प्रणय, महेंद्र और अभी का जिक्र भी किया गया है और गोरखपुर के भी 2 लोगों के नाम शामिल हैं।

भारत समाचार की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया टीम की गुटबाजी में पार्थ श्रीवास्तव का उत्पीड़न किया गया। इसी उत्पीड़न से परेशान होकर पार्थ श्रीवास्तव ने यह कदम उठाया।

बताया जाता है कि आत्महत्या करने से पहले पार्थ श्रीवास्तव ने इस सुसाइड नोट को ट्विटर पर ट्वीट किया था। लेकिन पार्थ की मौत के बाद सोशल मीडिया से इसे हटा दिया गया है।

इस मामले में न्यूज़ चैनल के स्टेट हेड वीरेंद्र सिंह का कहना है कि पार्थ श्रीवास्तव की आत्महत्या के मामले की सरकार द्वारा जांच करवाई जानी चाहिए। क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ा हुआ मामला है।

यह कोई मामूली बात नहीं है कि इस तरह से खुलेआम कर्मचारियों का शोषण होता रहे और अधिकारी इस मामले में मिट्टी डालने का काम करते रहे।

उन्हें बताया है कि यूं तो इस तरह के मामलों में पुलिस स्वयं संज्ञान ले लेती है। लेकिन अभी तक पार्थ श्रीवास्तव आत्महत्या मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

सरकार को चाहिए कि अपने कर्मचारी को इंसाफ दिलवाने के लिए आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज की जाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here