जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतींद्र नाथ गिरी ने नई संसद के साथ नए संविधान की बात की है। यतींद्र नाथ गिरी के मुताबिक, नए संविधान में मदरसों को समाप्त करने, धर्मांतरण पर कार्रवाई करने के कानून होने चाहिए और साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसियेशन को खत्म करने की भी बात की।

लखनऊ के विकास नगर स्थित दीप आश्रमम पहुंचे महामंडलेश्वर ने सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाले ऐसे बयान दिए जो सरासर आतंकवाद के संकेत हैं।

यतींद्रनाथ गिरी ने कहा कि नया संविधान पूरी तरह सनातन हिंदू संस्कृति पर आधारित हो, जिसमें एक देश एक नागरिकता की बात हो।

धर्म, जाति और मौलिक अधिकारों को लेकर भेद ना हो, क्योंकि मौजूदा संविधान इन आधारों पर भेद करते है।

(जातिवाद मिटाने के लिए किए गए आरक्षण जैसे प्रावधान को ये जातिवाद बताते हैं)

इतना ही नहीं भारतीय संविधान में दलित, पिछड़ा वर्ग और आदिवासियों के समान विकास के लिए जो आरक्षण का प्रावधान है यतींद्र गिरी ने उसपर भी पुनर्विचार करने क कहा।

साथ ही हिंदू-मुस्लिम सौहार्द खत्म करने के उद्देश्य से भी मदरसों को पूरी तरह समाप्त करने को कहा। उनके अनुसार आतंक और धर्मांतरण के लिए वहाबी मदरसों और मौलानाओं को फंडिंग कर रहे हैं।

इस पर दलित मुद्दों पर मुखर होकर हमेशा बोलने वाले प्रोफेसर दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया में लिखा,
“ये निठल्ला-मुफ्तखोर बाबा साहेब का संविधान बदलेगा और आरक्षण खत्म करेगा! इसे पकड़कर देशद्रोह में अंदर करना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने संविधान की शपथ ली है। अगर सच्ची शपथ ली है तो यतींद्रनाथ गिरी को गिरफ्तार किया जाए।”

 

नरेंद्र मोदी ने कभी साधु सन्यासियों को जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का आश्वासन दिया था।

इस पर भी महामंडलेश्वर यतींद्र नाथ गिरी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि जो भी दो बच्चों से अधिक पैदा करें उनके लिए कठोर सजा बिल अविलंब लाया जाए। असम सरकार की तरह ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी ऐसा बिल जल्द लाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आईएमए ईसाई संगठन है, इसे समाप्त करना चाहिए। आयुर्वेद पूरी तरह बीमारी को ठीक करता है जबकि एलोपैथी मर्ज को दबाती है ठीक नहीं करती।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की जो बहस बाबा रामदेव के पतंजिल कोरोनिल किट से शुरू हुई थी, उस पर यतींद्र नाथ ने बोलने का मौका नहीं छोड़ा।

उन्होंने कहा, “कोरोना में बड़े बड़े चिकित्सा संस्थानों ने आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया है।”

किसी साधु सन्यासी की तरफ से ऐसे बेतुके बयान आने का ये कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन साधु-सन्यासियों पर ऐसे बयानों को लेकर जब कोई कार्रवाही नहीं होती तब उनका मनोबल और बढ़ता चला जाता है।

इससे ना सिर्फ उन पर आस्था रखने वाले भक्त, बल्कि बाकी संत समाज में भी बेतुके बयानों को लेकर विश्वास बढ़ता है।

यतींद्र नाथ गिरी एक बड़े अखाड़े के प्रमुख हैं। लेकिन फिर भी उनके ऊपर इस तरह के हिंसा फैलाने वाले बयानों के बाद भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा।

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