सीबीआई जज लोया की मौत में अब एक नया खुलासा सामने आया है। ‘द कैरवान’ पत्रिका ने अपनी एक इन्वेस्टीगेशन स्टोरी में बताया है कि लोया की मौत के बाद उनका जो पोस्टमार्टम हुआ वो संदेह के घेरे में है। क्योंकि पोस्टमार्टम में बहुत सी बाते छुपाई गई और पोस्टमार्टम करने वाला डॉक्टर महाराष्ट्र के दिग्गज भाजपा नेता के रिश्तेदार हैं।

क्या है मामला

बता दें, कि जब लोया की मौत हुई तो वो सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले को देख रहे थे। इस मामले में मुख्य आरोपी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें की कार्रवाई गुजरात से बाहर करने का आदेश दिया था जिसके बाद ये मामला सीबीआई अदालत में आया।

यहाँ इस मामले को देख रहे पहले न्यायाधीश उत्पत ने अमित शाह को मामले की कार्रवाई में उपस्थित न होने को लेकर फटकार लगाई थी। लेकिन अगली तारीख से पहले ही उनका ट्रान्सफर हो गया।

इसके बाद बृजगोपाल लोया आये, उन्होंने भी अमित शाह के उपस्थित न होने पर सवाल उठाए और सुनवाई की तारीख 15 दिसम्बर 2014 तय की लेकिन 1 दिसम्बर को ही महाराष्ट्र के नागपुर में उनकी मौत हो गई। इसके बाद न्यायधीश एमबी गोसवी आये, जिन्होंने दिसम्बर 2014 के अंत में ही अमित शाह को इस मामले में बरी कर दिया।

नवम्बर 2017 में  ‘द कैरवान’ को दिए एक इंटरव्यू में जज लोया की बहन डॉ. अनुराधा बियाणी ने उनकी मौत पर सवाल उठाते हुए हत्या की आशंका जताई थी। उन्होंने कहा था कि सोहराबुद्दीन मामले में आरोपियों के पक्ष में फैसला देने के लिए लोया को 100 करोड़ की रिश्वत की पेशकश हुई थी। लोया के कई दोस्तों ने भी उनकी मौत पर सवाल उठाए थे।

पोस्टमार्टम पर उठ रहा सवाल

लोया का पोस्टमार्टम संदेह के घेरे में है। ‘द कैरवान’ की निकिता सक्सेना ने उस अस्पताल में 14 डोक्टरों से बात की जो लोया के पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद थे। लोया का पोस्टमार्टम नागपुर के जीएमसी अस्पताल में हुआ था। ये पोस्टमार्टम डॉ मकरंद व्यवहारे की देख रेख में हुआ था। व्यवहारे महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में वित्त मंत्री सुधीर मुंगतीवार के रिश्तेदार हैं। व्यवहारे क्षेत्र में अपने राजनीतिक कनेक्शन के लिए जाने जाते हैं।

‘द कैरवान’ को जीएमसी अस्पताल के लोगों ने बताया कि उन्हें संदेह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत है। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान लोया के सर के पीछे चोट लगी थी। वहां खून के धब्बे भी थे लेकिन व्यवहारे ने ये बात रिपोर्ट में दर्ज नहीं होने दी। रिपोर्ट में मौत का कारण दिल के दौरे को बताया गया।

जब एक जूनियर डॉक्टर ने व्यवहारे को इस बात के लिए टोका तो व्यवहारे ने उसे डाट दिया। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में हस्तक्षेप करने के लिए व्यवहारे पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं। 2015 में जीएमसी अस्पताल के कुछ डॉक्टर और छात्रों ने व्यवहारे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।

बता दें, कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार जज लोया की मौत की जांच कराने की मांग का विरोध कर रही है। और इस ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अदालत में मुख्य सबूत के तौर पर पेश कर रही है।

पहले भी उठ चुके हैं पोस्टमार्टम पर सवाल

भारत के जानेमाने फोरेंसिक विशेषज्ञों में एक डॉ. आरके शर्मा ने जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत से जुड़े मेडिकल कागज़ात की जांच करने के बाद इस आधिकारिक दावे को खारिज कर दिया था कि लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उन्होंने कहा था कि या मौत सर पर चोट लगने से हुई है या फिर उन्हें ज़हर दिया गया है।

इससे पहले लोया की बहन डॉ. अनुराधा बियाणी ने ‘द कैरवान’ को बताया था कि उन्‍होंने जब मौत के बाद पहली बार अपने भाई की लाश देखी तो उस समय गरदन पर और शर्ट पर पीछे की ओर खून के निशान पड़े हुए थे। बियाणी हमेशा डायरी लिखती हैं। लोया की मौत के वक्‍त अपनी डायरी में उन्‍होंने दर्ज किया था कि ”उनके कॉलर पर खून लगा था”। बता दें, कि बियाणी महाराष्‍ट्र में सरकारी डॉक्टर हैं।

लोया की दूसरी बहन सरिता मांधाने ने भी द कारवां से बातचीत में गरदन पर खून का ज़िक्र किया था और कहा था कि उनके सिर पर चोट थी और खून था। जज के पिता हरकिशन लोया ने द कारवां को बताया था कि उन्‍हें याद है कि उनके कपड़ों पर खून के धब्‍बे थे।

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