उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति पर विवाद थमता नहीं नज़र आ रहा है। ये आरोप लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त नहीं करना चाहती है।

बता दें, कि जस्टिस केएम जोसफ ने ही अप्रैल 2016 में मोदी सरकार के उस फैसले को रद्द किया था जिसके तहत उसने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। जस्टिस केएम जोसेफ ने मोदी सरकार के फैसले को गलत बताते हुए राज्य में कांग्रेस की सरकार की बहाली की थी।

इसी साल जनवरी में कॉलेजियम (जजों को नियुक्त करने वाली व्यवस्था) ने जस्टिस केएम जोसफ का नाम सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा था। लेकिन सरकार ने फरवरी में कॉलेजियम को नाम पर फिर से पुनर्विचार करने के लिए कहा।

सरकार ने कहा कि उन्हें लगता है कि जोसफ पद के लिए वरिष्ठ नहीं हैं। ‘द हिन्दू’ ने 5 मार्च को अपनी एक खबर में बताया कि जस्टिस केएम जोसेफ सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए अनुभव के लिहाज़ से सबसे ज़्यादा वरिष्ठ हैं।

अब सरकार के इस रवैय्ये पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सवाल उठाया है। राहुल गाँधी ने ट्वीट कर कहा कि जस्टिस केएम जोसेफ ने ही 2016 में उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाया था।

जब सुप्रीम कोर्ट के लिए उनके नाम की सिफारिश हुई तो मोदी जी के अहंकार को चोट लगी। अब सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए 100 से अधिक न्यायाधीशों की मंजूरी होल्ड पर है।


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