वर्तमान में न्यायपालिका पर कई सवाल उठ रहे हैं। खुद सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यायपालिका में सब सही न होने को लेकर सवाल उठाए। इस सब से दिमाग में ये सवाल आता है कि क्या न्यायपालिका में गलत फैसले होते हैं? क्या जजों की निष्ठ पर सवाल उठाया जा सकता है?

इस बीच ये बता दें, कि पूर्व जज रहे वी एस कोकजे को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का नया अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।

वी एस कोकजे को 28 जुलाई 1990 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2001 में 11 महीनों के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवा की है। 2003 से 2008 के बीच कोकजे हिमाचल प्रदेश के गवर्नर भी रह चुके हैं।

वीएचपी उन कट्टर हिंदूवादी संगठनों में से एक है जिसपर दंगा फ़ैलाने से लेकर धर्म के नाम पर हत्या करने तक के संगीन आरोप लगे हैं। इस संगठन को आरएसएस के उन संगठनों में से एक माना जाता है जिसने गौरक्षा के नाम पर पूरे में देश जगह-जगह आतंक मचाया है।

बोलता हिंदुस्तान भारतीय न्यायपालिका और उसके फैसलों का सम्मान करता है। लेकिन कोर्ट में जज रहे व्यक्ति जब किसी ऐसे संगठन के अध्यक्ष बनने लगे तो निष्पक्ष न्याय मिलने पर संदेह होने लगता है।

न्यायपालिका को लोकतंत्र का तीसरा स्तम्भ कहा गया है। भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था और देश के निर्माण की बात करता है। ऐसे संविधान वाले लोकतांत्रिक देश में जब न्यायधीश जाकर कट्टर धार्मिक संगठनों का हिस्सा बनेंगे तो व्यवस्था पर विश्वास करना मुश्किल हो जाएगा।

विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया को दंगों के दौरान त्रिशूल बाटते हुए भी गिरफ्तार किया गया है। क्या अब अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष भी ऐसे किसी काम को अंजाम देते पकड़े जाएँगे। एक पूर्व जज अगर ऐसे किसी अपराध के लिए गिरफ्तार हो तो ये देश और लोकतंत्र दोनों के लिए डरावना है।

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