मध्य प्रदेश में पाकिस्तानी ख़ूफिया एजेंसी आईएसआई के नेटवर्क और टेरर फंडिग मामले का बड़ा ख़ुलासा हुआ है। इस मामले में एटीएस ने बुधवार को बजरंग दल के पूर्व नेता बलराम सिंह के साथ तीन अन्य आरोपियों को सतना से गिरफ्तार किया।

बलराम सिंह को इसी मामले में डेढ़ साल के अंदर दूसरी बार गिरफ़्तार किया गया है। इससे पहले फरवरी 2017 में मध्यप्रदेश एटीएस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले में बलराम और बीजेपी कार्यकर्ता ध्रुव सक्सेना को गिरफ्तार किया था। हालांकि पिछले साल हाई कोर्ट ने इन दोनों को जमानत दे दी थी।

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बलराम सिंह को ज़मानत दिए जाने पर अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा, “क्या कारण है कि जब आठ फरवरी, 2017 को पहली बार इस मामले का खुलासा हुआ था और कुछ लोग इस कांड में पकड़े गए थे, तो उन पर उस समय कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? कैसे वे वापस बाहर आकर देश विरोधी गतिविधियों को फिर अंजाम देने लगे?”

सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को भोपाल में कहा, “इस पूरे मामले की जांच की जाए। इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जाए। इस तरह की गतिविधि में जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए। प्रदेश की धरती पर टेरर फंडिग व पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी का कृत्य बर्दाश्त नहीं। इस कांड से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हो, या कितना भी बड़ा शख्स हो।”

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बता दें कि मध्यप्रदेश एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए इन लोगों पर आरोप है कि ये पाकिस्तानी हैंडलरों से मिलकर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। इन लोगों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी एजेंट्स को बैंक खाते, एटीएम कार्ड की जानकारियों के साथ धनराशि भेजी थी। ये पहले भी योजनाबद्ध तरीके से जासूसी कर रहे थे।

साथ ही युद्ध की स्थिति में सामरिक महत्व की जानकारियां एकत्रित कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक, बजरंग दल के पूर्व नेता बलराम सिंह और उसके साथी महज़ 8 प्रतिशत कमीशन के लिए देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं।

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