अमित शाह ने विपक्षी दलों के लिए साँप, नेवला, कुत्ता, बिल्ली जैसे नाम तो ले लिए लेकिन अभी उन्हें और जानवरों के नाम लेने पड़ेंगे। अभी पूरा देश ही उनका विपक्ष है। दिन में दर्जनों बार हिंदू धर्म की रट लगाने वाले अमित शाह ने शायद रामायण नहीं पढ़ी। रामायण में लिखा है कि राम की सेना में भालू और बंदर भी शामिल थे। यही नहीं, गिलहरी भी कंकड़ उठाने के काम में लग गई थी। अभी अमित शाह को नीचे लिखे तमाम लोगों के लिए नए जानवरों के नाम सोचने पड़ेंगे-

— उन वैज्ञानिकों के लिए जो 14 अप्रैल यानी आंबेडकर जयंती के दिन विज्ञान को भाजपा सरकार से बचाने के लिए दिल्ली में रैली निकालेंगे। सरकार के मंत्री और यहाँ तक कि ख़ुद प्रधानमंत्री विज्ञान को आस्था का विषय बनाने में लगे हुए हैं।

— उन शिक्षकों के लिए जो बार-बार भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए सड़कों पर निकल रहे हैं। ऑटोनोमी के नाम पर उच्च शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है और सरकारी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को जान-बूझकर बर्बाद किया जा रहा है।

— उन विद्यार्थियों के लिए जो शिक्षा को सरकार से बचाने के लिए लगातार पुलिस की लाठियों का सामना करते हुए आवाज़ उठा रहे हैं। शिक्षा के बजट में लगातार कटौती हुई है।

— उन लड़कियों के लिए जो रेप के मामलों में भाजपा के नेताओं को बचाने की साज़िश का विरोध करते हुए लगातार पुलिसवालों और नेताओं की धमकियों का सामना कर रही हैं। भाजपा ने कश्मीर में आसिफा नाम की बच्ची (जिसका फोटो इस पोस्ट में अटैच है) और यूपी में एक लड़की के रेप के आरोपियों को बचाने की बेशर्मी दिखाई है।

— उन किसानों के लिए जो सरकार की नीतियों के कारण कभी कपड़े उतारकर तो कभी पेशाब पीकर अपने अधिकारों की माँग उठाने पर मजबूर हो रहे हैं। सरकार न तो किसानों को फ़सल का सही दाम दे रही है और न ही खेती से जुड़ी चीज़ों के दाम कम कर रही है।

इस सूची में समाज के इतने सारे तबकों के नाम लिखे जा सकते हैं कि शाह जी को जानवरों के नाम देखने के लिए शब्दकोश के पन्ने उलटने पड़ेंगे। एक मुश्किल यह भी है कि उनका शब्दकोश इतना छोटा है कि उसमें सांप्रदायिकता, कट्टरता, लव जिहाद जैसे गिने-चुने शब्द ही समा पाते हैं।

(जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के फेसबुक वॉल से साभार)

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