जम्मू कश्मीर के कठूआ में हुए गैंगरेप को शुरू से ही हिंदू बनाम मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की जा रही है। बरलाव समुदाय की आसिफ़ा 10 जनवरी को घर से निकलती है और 17 जनवरी को उसकी लाश मिलती है। इस बीच लगातार आठ दिन तक आठ साल की बच्ची से गैंगरेप किया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में रेप होता है।
लाश मिलने के बाद आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होती क्योंकि कार्रवाई करने वाले अफसर खुद इस मामले में लिप्त होते थे। इस बीच हिंदू एकता मंच तिरंगा लेकर बलात्कार के आरोपियों के समर्थन में उतर जाता है। एक आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार को हिंदू बनाम मुस्लिम और राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह कर दिया जाता है।
कथित हिंदूवादी भी इस रेप को अपने अपने माध्यम से जस्टिफाई करने लगते हैं। कश्मीर बार काउंसिल के वकील तिरंगा लेकर जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाते हैं। क्राइम ब्रांच को चार्जशीट दाखिल करने से रोका जाता है। धर्म के नाम पर बच्ची के बलात्कार को जस्टिफाई किया जाता है।

ये सिलसिला अब भी जारी है। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार लिखते हैं कि ‘अगर 8 साल की बच्ची के चेहरे पर मासूमियत की जगह आपको हिन्दू-मुसलमान दिखाई देता है तो आप यक़ीनन इंसान से हैवान बन चुके हैं।’