देश की अर्थव्यवस्था सुस्त होने की पुष्टि जीडीपी ने कर दी है। ऐसे में हालात में मोदी सरकार चारों तरफा आलोचनाओं के घेरे में आ चुकी है। सरकार के पास जवाब तो कई है मगर असल सवालों पर वो पिछली सरकारों को ही दोष देती हुई नज़र आती है। ऐसे में क्या ये अहम मुद्दा है कि सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था पर सरकार से सवाल होना चाहिए?

इसी मामले पर कन्हैया कुमार ने लिखा, अगर आप देश से प्रेम करते हैं तो सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करना आपका धर्म है क्योंकि ‘देश’ देश के लोगों से बनता है| अगर हम अपने नागरिक होने का फर्ज नहीं निभाएगें तो ये देश बेच देगें और हर चुनाव के बाद हम आजादी का नहीं बल्कि गुलामी का जश्न मना रहे होगें।

गौरतलब हो कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ​महज 5 फीसदी रह गई है। इससे पहले ​मार्च तिमाही में जीडीपी 5.80 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही विकास दर 8 फीसदी दर्ज की गई थी। मौजूदा जीडीपी बीते 25 तिमाहियों मतलब कि पिछले 6 साल से अधिक वक़्त में ये सबसे कम जीडीपी ग्राथ रेट है।

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की खुली पोल! भारत की GDP ग्रोथ रेट 5.8% से घटकर 5% हुई

वहीं अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और एग्रीकल्चर सेक्टर में सुस्ती ने देश की जीडीपी ग्रोथ को जोरदार झटका दिया है। इससे पहले, 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4।9 फीसदी के निचले स्तर दर्ज की गई थी।

बता दें कि भारत की विकास दर, यानी की GDP ग्रोथ 8% से गिरकर 5% हो गयी है। अप्रैल-जून 2019 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 5% हो गयी है जबकि यही ग्रोथ पिछले साल इसी अवधि के लिए 8% थी। इन आंकड़ों को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जारी किया है। पिछले 25 तिमाहियों में ये भारत की सबसे कम ग्रोथ है।

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