कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान बीजेपी आईटी हेड अमित मालवीय और उसके बाद चुनाव आयोग ने कर दिया है। सवाल उठने लगे हैं कि आखिर चुनाव आयोग के ऐलान करने से पहले बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख को चुनाव की तारीखें कैसे मालूम चलीं?

क्या चुनाव आयुक्त बीजेपी द्वारी दी गई स्क्रिप्ट पढ़ रहे थें? क्या स्वतंत्र रूप से काम करने वाला चुनाव आयोग बीजेपी के इशारों पर काम कर रहा है? विवाद पर लगाम लगाम के लिए चुनाव आयोग ने कहा है कि अमित मालवीय के ट्वीट की जांच होगी।

लेकिन अब इस विवाद ने बड़ रूप ले लिया है। विपक्ष के तमाम नेता चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कल तक तो इस बात पर चर्चा चल रही थी कि चुनाव EVM से होना चाहिए या नहीं। कई नेता चुनाव आयोग से EVM हटाकर बैलेट पेपर द्वारा चुनाव कराने की मांग कर रहे थें।

लेकिन अब तो चुनाव आयोग ही संदेह के घेरे में आ चुका है। ऐसे में चुनाव EVM से हो या बैलेट पेपर से विपक्षी नेताओं के लिए परिणाम पर विश्वास करना मुश्किल होगा।

जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने इस मामले पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि ‘बेचारी बेज़ुबान EVM की क्या बिसात, यहाँ तो पूरा कमीशन ही हैक कर लिया है।’


बता दें कि 27 मार्च की सुबह तकरीबन 11:23 बजे चुनाव आयुक्त ने कर्नाटक चुनाव की तारीख का ऐलान किया। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि 12 मई को मतदान कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए होगा।

चुनाव आयुक्त की प्रेस कांन्फ्रेंस से करीब 15 मिनट पहले, यानी 11:09 बजे बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया। ट्वीट में लिखा था: ‘कर्नाटक में 12 मई, 2018 को चुनाव होगा। वोटों की गिनती 18 मई, 2018 को होगी।’


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