जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां के स्थानीय लोगों को किन प्रताड़नाओं और यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है, इसका ख़ुलासा बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया है कि वहां तैनात सुरक्षाकर्मी युवाओं को जबरन उनके घरों से उठाकर उनकी बेरहमी से पिटाई कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों ने बीबीसी को बताया है कि उन्हें सुरक्षाबलों द्वारा डंडों और केबल से पीटा गया और बिजली के झटके दिए गए। कई ग्रामीणों ने बीबीसी के रिपोर्टर को अपने घाव भी दिखाए। हालांकि बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में इन आरोपों का सत्यापन नहीं किया है।

बीबीसी के रिपोर्टर ने कहा कि उन्होंने दक्षिणी जिलों के कम से कम आधा दर्जन गांवों का दौरा किया, जहां उन्हें कई ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों की नाइट रेड, मारपीट और यातनाओं की बातें बताईं।

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दो सगे भाइयों ने बीबीसी को बताया कि उन्हें आधी रात में जगाया गया और उन्हें बाहर ले जाया गया जहां गांव के लगभग एक दर्जन पुरुष इकट्ठा थे। उनसे मिलने वाले बाकी लोगों की तरह ही, वे भी कार्रवाई के डर से अपनी पहचान बताने से डरे हुए हुए थे।

उनमें एक ने कहा, “उन्होंने हमारी पिटाई की। हम उनसे पूछ रहे थे कि हमने क्या किया है। आप गांव वालों से पूछ सकते हैं, यदि हम झूठ बोल रहे हैं या हमने कुछ गलत किया है तो। लेकिन वो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे, उन्होंने कुछ नहीं कहा, वो बस हमें पीटते रहे।”

“उन्होंने हमारे शरीर के हर हिस्से को पीटा। उन्होंने हमें लात मारी, लाठियों से पीटा, बिजली के झटके दिए, केबल से हमें पीटा। उन्होंने हमें पैरों के पीछे मारा। जब हम बेहोश हो गए तो उन्होंने होश में लाने के लिए बिजली के झटके दिए। जब उन्होंने हमें डंडों से पीटा और हम चीख उठे तो उन्होंने कीचड़ से हमारा मुंह बंद कर दिया।”

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“हमने उन्हें बताया कि हम बेकसूर हैं। हमने पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? लेकिन उन्होंने हमारी नहीं मानी। मैंने उनसे कहा कि हमें मारो मत, बस हमें गोली मार दो। मैं खुदा से मना रहा था कि वो हमें अपने पास बुला ले क्योंकि यातना बर्दाश्त के बाहर थी।”

वहीं सेना ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। बीबीसी को दिए अपने बयान में सेना ने कहा है कि वो “एक पेशेवर संगठन है जो मानवाधिकारों को समझता है और उसका सम्मान करता है।” सेना की ओर से ये भी कहा गया कि सभी आरोपों की “तुरंत जांच” की जा रही है।

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