बायोकॉन की चेयरमैन और एमडी किरण मजूमदार शॉ ने जीडीपी के हालिया आंकड़े आने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जीडीपी ग्रोथ गिरकर 5% के स्तरों पर आ गई है इसका मतलब है कि ये “आर्थिक आपातकाल” है। ये सरकार के लिए नींद से जागने का वक्त है और इस पर जल्दी कदम उठाने होंगे।

दरअसल बायोकॉन की चेयरमैन और एमडी किरण मजूमदार शॉ बैंगलोर में इंडियन इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2019 नाम से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची थी। जहां उन्होंने जीडीपी दर 5% होने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि जीडीपी इनता नीचे जाएगी।

उन्होंने कहा कि अगर ये सरकार के लिए आर्थिक आपातकाल नहीं है तो क्या है। अर्थव्यवस्था ना केवल सुस्ती की ओर बढ़ रही है बल्कि और भी जटिल और चिंता का विषय बनती जा रही है।

शॉ ने कहा कि आर्थिक विकास के आंकड़े साफ तौर पर उपभोग में कमी को दर्शाते हैं। अब तक सरकार अर्थव्यवस्था को एक बार फिर पटरी पर लाने को लेकर आश्वसत थी लेकिन अब मंदी की खबरों को नकार नहीं सकती है। इस समस्या पर ध्यान के देने की जरूरत है।

ऑटो और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र पर 28% जीएसटी के लगाए जाने को उन्होंने नकारात्मक बताते हुए कहा कि इससे क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इसका प्रभाव अब नौकरियों पर भी देखा जा सकता है।

शॉ ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार इन क्षेत्र पर जीएसटी कम करके मांग को बढ़ावा दे सकती है। ऐसे में अगर दाम कम होते हैं तो अधिक से अधिक लोग खरीदारी करेंगे तो सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर प्रमुखता से कार्य करने की जरूरत है।

गौरतलब हो कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ​महज 5 फीसदी रह गई है। जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत है। भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उत्पादन या सेवाएं देश के भीतर ही होनी चाहिए।

इससे पहले ​मार्च तिमाही में जीडीपी 5.80 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही विकास दर 8 फीसदी दर्ज की गई थी। मौजूदा जीडीपी बीते 25 तिमाहियों मतलब कि पिछले 6 साल से अधिक वक़्त में ये सबसे कम जीडीपी ग्राथ रेट है।

वहीं अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और एग्रीकल्चर सेक्टर में सुस्ती ने देश की जीडीपी ग्रोथ को जोरदार झटका दिया है। इससे पहले, 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4।9 फीसदी के निचले स्तर दर्ज की गई थी।

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