बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ के सुकमा में बड़ा नक्सली हमला हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सर्च ऑपरेशन के दौरान CRPF के 9 जवान नक्सलियों के शिकार हो गए हैं। ये हमला सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में हुआ है, जहां नक्सलियों ने लैंडमाइन बिछाकर धमाके किए हैं।

इस हमले में CRPF के 25 जवान घायल हुए हैं, जिनमें से 4 की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिन जवानों ने अपनी कुर्बानी दी है उन्हें पूरा देश भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है।

सोशल मीडिया पर #BJPFailsSoldiers, #Sukma, #CRPF ट्रेंडिंग है। राज्य की रमन सरकार और केंद्र की मोदी सरकार से इन जवानों की जान का हिसाब मांगा जा रहा है। लगातार पिछले 14 सालों से सत्ता पर आसीन रमन सिंह की सरकार नक्सवाद को क्यों नहीं खत्म कर पायी?

8 नवंबर की रात राष्ट्र को संबोधित करते वक्त पीएम मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सवाद की समस्या खत्म हो जाएगी। नोटबंदी को एक साल चार महिने हो चुके लेकिन न तो नक्सलवाद खत्म हुआ है और न ही आतंकवाद। क्या पीएम मोदी ने तब देश की जनता से झूठ बोला था? अगर सच बोला था तो नक्सलवाद और आतंवाद की कमर क्यों नहीं टूटी?

विपक्षी कांग्रेस सत्ताधार रमन सिंह से कई सवाल पूछ रही है। कांग्रेस का कहना है कि नक्सली हमले में 2005 से अब तक 1928 CRPF जवान मारे गये। इसमे से 50% छत्तीसगढ़ में मारे गए। इतना ही नहीं कांग्रेस का कहना है कि देशभर में 60 जिले नक्सल प्रभावित हैं इसमें से 14 छत्तीसगढ़ में हैं।

कांग्रेस के मुताबिक, 2003 में छत्तीसगढ़ में मात्र तीन ब्लॉक नक्सल प्रभावित थें, 2018 में 14 जिले इनके चपेट में हैं। तो रमन सिंह ने नक्सलवाद खत्म किया या बढ़ाया?

कांग्रेस का आरोप है कि रमन सिंह हर बार कहते हैं कि नक्सवाद खत्म होने को है। हर बार का सच – जवाब शहीद होते जा रहे हैं।

कांग्रेस नेता प्रत्युष भारद्वाज ने लिखा है कि ‘हाँ शायद फिर वही होगा, वही सन्नाटा, वही खामोशी, वही कड़ी निंदा, वही आलोचना, वही सब कुछ, जो सत्य से परे होगा।’

नक्सलवाद को लेकर राज्य की रमन सरकार और केंद्र की मोदी सरकार में खुद ही मतभेद है। पीएम मोदी ने नवंबर 2016 में ही नोटबंदी का ऐलान करते हुए ये कह दिया था कि अब नक्सलवाद की कमर टूट जाएगी। जबकी रमन सिंह का अब भी कहना है कि नक्सवाद 2022 तक खत्म करेंगे।

छत्तीसगढ़ और नक्सवाद की समस्या-

मध्य प्रदेश का दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र को सन् 2000 में अलग करके एक नए राज्य का निर्माण किया गया। 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ बना। 9 नवंबर, 2000 को कांग्रेस के अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने। तीन साल 27 दिन सरकार चलाने के बाज अजित जोगी सत्ता से बाहर हो गए।

7 दिसंबर 2003 को छत्तीसगढ़ मे बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री का पद मिला रमन सिंह को। 2003 से अब तक लगातार तीन बार से रमन सिंह ही मुख्यमंत्री हैं और इस बीच छत्तीसगढ़ के हालात बद से बदतर होते चले गएं।

छत्तीसगढ़ आज भी अपनी प्रमुख समस्या यानी नक्सलवाद से जूझ रहा है। अब सवाल उठता है कि रमन सिंह ने 14 साल सरकार चलाने के बाद भी इस समस्या को खत्म क्यों नहीं किया? आज भी क्यों सैनिक नक्सलियों का शिकार हो रहे हैं? क्या सच में रमन सरकार ने कभी पूरी ईमानदारी से इस समस्या को खत्म करने की कोशिश की है? अगर किया होता तो आज ऐसे परिणामों का सामना न करना पड़ता!

छत्तीसगढ़ को बने 17 साल हो चुके हैं, इन 17 सालों में से 14 साल रमन सिंह ने सरकार चलायी है। इतने लम्बे समय तक सरकार चलाने के बाद भी रमन सिंह छत्तीसगढ़ के जंगलों में लोकतंत्र स्थापित क्यों नहीं कर सके? क्या वास्तव में छत्तीसगढ़ के जंगलों तक लोकतंत्र पहुंचा है? क्या रमन सिंह ने सत्ता पर कायम रहने के लिए जंगलों तक लोकतंत्र नहीं पहुंचाया?

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