पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के उस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-परफॉर्मिंग संपत्तियों (अनर्जक परिसंपत्ति) को बट्टा खाते में डालने की बात कही गई है।

ममता बनर्जी ने एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए कहा, “मुझे यह देख कर हैरानी है कि ऐसे वक्त में जब देश के किसान कर्ज़ के बोझ से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं और कर्ज़ माफ़ करने की सरकार से गुहार लगा रहे हैं। फिर भी सरकार इसपर विचार भी करने को तैयार नहीं”।

इसके उलट, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2,41,911 करोड़ रुपए के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-परफॉर्मिंग संपत्तियों (अनर्जक परिसंपत्ति) को बट्टा खाते में डालने का फ़ैसला किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि हमने इस मुद्दे को नोटबंदी के दौरान ही उठाया था। अब सच सामने आ गया है और सच कड़वा होता है।

यहां तक ​​कि संसद में जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा क्रेडिट जानकारी का ब्योरा नहीं दिया जा सकता है।

ममता ने सवाल करते हुए कहा, “यह गोपनीय क्यों है? सरकार किसको बचाने की कोशिश कर रही है? हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बकाएदारों की पूरी सूची पेश करने की मांग करते हैं, जिनके ऋणों को बट्टा खाते में डाला गया है। क्या यह महाघोटाला नहीं है?

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