मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा होना जा रहा है लेकिन सरकार के वादे पूरे होते नहीं नज़र आ रहे हैं। जो योजनाएं सरकार ने 2014 के बाद शुरू की थी उनका अभी तक बुरा हाल है। प्रधानमंत्री आवास योजना इसी का एक उदाहरण है।

केन्द्र की भाजपा सरकार ने वादा किया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साल 2022 तक सभी बेघर लोगों को घर मुहैय्या कराए जाएंगे। योजना को लागू हुए तीन साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक शहरी इलाकों में सिर्फ 8% या कहें कि 3 लाख मकान ही बन पाए हैं, जबकि लक्ष्य करीब 40.6 लाख मकानों का था।

बता दें, कि प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून, 2015 को की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर साल 2022 में शहरी इलाकों में रहने वाले गरीबों के लिए करीब 2 करोड़ मकान बनाए जाएंगे।

लेकिन जब तीन साल में सरकार 4 लाख मकान भी नहीं बना सकी है तो 2022 तक दो करोड़ मकान बनना असंभव नज़र आता है। योजना के तहत केन्द्रीय निगरानी में स्थानीय निकायों और विभिन्न एजेंसियों द्वारा सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में इन मकानों का निर्माण होना था।

शहरी मामलों और ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, इस साल 5 मार्च तक मंत्रालयों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 8341 प्रोजेक्ट को जोड़ा था, जिनमें 40.6 लाख मकानों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन अभी तक सिर्फ 3.4 लाख मकानों का निर्माण कार्य ही पूरा हो सका है।

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