धर्म और आस्था की बात करने वाली भाजपा अल्पसंख्यक समाज की आस्था को नकार रही है। जीएसटी के अंतर्गत टैक्स लगाते-लगाते मोदी सरकार ने गुरुद्वारों के लंगर पर भी टैक्स लगा दिया है। सिख समाज सरकार के इस कदम के विरोध में आ गया है।

देशभर में मौजूद सिख संगठन केंद्र सरकार द्वारा लंगर पर लगाए गए जीएसटी का कड़ा विरोध कर रहे हैं। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा सरकार से मांग की गई है कि सरकार जल्द ही लंगर पर लगाए गए जीएसटी के आदेश को वापस लें। इससे पहले शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने भी यही मांग की थी।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के पूर्व मंत्री और एमएलसी बलवंत सिंह रामूवालिया ने भी एक प्रेस कांफ्रेस में सरकार से आग्रह किया है कि वे तत्काल प्रभाव से देश के गुरुद्वारों द्वारा दिए जाने वाले लंगर से जीएसटी हटा लें। उन्होंने सिख धार्मिक स्थलों के मुफ्त रसोईघरों द्वारा दिए जाने वाले लंगर पर जीएसटी लगाने को अनुचित बताया है।

उन्होंने कहा कि लंगर पर जीएसटी लगाने के फैसले से सिख समुदाय बहुत ही उत्तेजित है। रामूवालिया ने दावा किया है कि 31 दिसंबर, 2017 तक केंद्र सरकार गुरुद्वारों से दो करोड़ रुपए वसूल चुकी है।

वहीं इस मामले पर बात करते हुए लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “गुरुद्वारों के 450 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि लंगर सेवा पर टैक्स लगाया गया है।”

बता दें, कि  लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अनुसार,  14 अप्रैल को सभी गुरुद्वारों में लंगर से जीएसटी हटाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा, जिसे बाद में केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

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