मोदी के मंत्री द्वारा एक कमेटी चुनी गई है जिसका मकसद है इतिहास को बदल कर फिर से लिखना। कमेटी को निर्देश दिया गया है कि हिंदू धर्म ग्रंथों की बुनियाद पर इतिहास को फिर से लिखा जाए।

एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, मोदी सरकार भारतीय इतिहास को दोबारा से लिखने का प्रयास कर रही है। रायटर्स से बातचीत के दौरान इस कमेटी के चेयरमैन केएन दीक्षित ने बताया कि ‘उनकी समिति को एक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है, जो कि प्राचीन भारतीय इतिहास के कुछ पहलुओं को दोबारा से लिखने में सरकार की मदद करेगी।’

इस समिति में 14 लोग सदस्य हैं। इनमें से 12 ने रायटर्स से के साथ बातचीत की। इस दौरान सदस्यों ने बताया है कि उनका काम सरकार को कुछ ऐसे ऐतिहासिक सबूत देना है जो ये साबित कर सके कि हिन्दू धर्म से जुड़े लोग या आर्यन बाहर से नहीं आए थे बल्कि यही जन्में थे। साथ ही ये भी साबित करना है कि हिन्दू ग्रन्थ पौराणिक नहीं बल्कि इतिहास हैं।

एनडीटीवी ने दावा किया कि संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने भी एक इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया है कि ‘इस समीति का काम भारतीय इतिहास को संशोधित करने की बड़ी योजना का हिस्सा है।’ इस समीति का गठन पीएम मोदी ने 6 महीने पहले किया गया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक मनमोहन वैद्य ने भी रायटर्स से बातचीत के दौरान कहा है कि ‘भारतीय इतिहास का असली रंग भगवा है और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने के लिए हमें इतिहास को दोबारा लिखना होगा।’

आरएसएस की इतिहास विंग के हेड बालमुकुंद पांडे का भी कहना है कि ‘भारत के गौरवशाली इतिहास को सहेजने का ये ही सही वक्त है।’ ये कहा जा रहा है कि ये कदम  आरएसएस की सिफारिशों पर ही लिया गया है।

वहीं संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने रायटर्स से बातचीत के दौरान बताया कि ‘वह उम्मीद कर रहे हैं कि समीति द्वारा पेश किए जाने वाले निष्कर्ष को स्कूली किताबों और एकेडमिक रिसर्च में शामिल किया जाएगा।’ मानव एवं संसाधन मंत्री प्रकाश जावेडकर ने भी कहा है कि वो संस्कृत मंत्रालय से आई सिफारिशों पर गौर कर उसे शिक्षा पाठ्क्रम में शामिल करेंगे।

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