12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैलसा सुनाया था। इस फैसले में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को संसद से अयोग्य घोषित कर उनपर छह साल तक कोई राजनीतिक पद पर ना रहने का प्रतिबंध लगा दिया था। इंदिरा गाँधी पर ये आरोप साबित हो गया था कि उन्होंने चुनाव के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग किया है। क्या प्रधानमंत्री मोदी भी ऐसा ही कर रहे हैं?

‘द वायर’ की एक खबर के मुताबिक, मोदी सरकार देश के एक हज़ार क्लास-1 केन्द्रीय अधिकारीयों को 22 दिनों के लिए 20,000 गावों में भेज रही है। ये अधिकारी मोदी सरकार के ‘ग्राम स्वराज अभियान’ का प्रचार करेंगे।

इंदिरा गाँधी को अयोग्य इसलिए ठहराया गया था क्योंकि उन्होंने यशपाल कपूर नाम के एक सरकारी अधिकारी का उपयोग चुनाव की तैयारी के लिए किया था। वहीं प्रधानमंत्री मोदी एक हज़ार अधिकारीयों का उपयोग कर रहे हैं।

आम तौर पर ये काम किसी भी पार्टी के सदस्यों का होता है कि वो गाँव-गाँव में जाकर उनकी पार्टी की सरकार की योजनाओं का प्रचार करे। चुनाव के करीब आने पर पार्टियों के सदस्य ऐसा करते दिखाई भी देते हैं।

11 अप्रैल को भाजपा ने ऐलान भी किया था कि उसके वालंटियर गाँव-गाँव जाकर ‘ग्राम स्वराज अभीयान’ का प्रचार करेंगे। लेकिन मोदी सरकार ने देश के उच्च अधिकारीयों को ही भाजपा का वालंटियर बना दिया है।

सरकारी अधिकारी उज्ला योजना, प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना, सहज बिजली हर घर योजना-सौभाग्य, प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और मिशन इंद्रधनुष का प्रचार करेंगे।

इस प्रचार के दौरान ज़िला प्रशासन भी इन अधिकारियों की मदद करेगा। उनके रुकने और गाँवों में जाकर प्रचार कराने का ज़िम्मा ज़िला प्रशासन का ही होगा।

मतलब 22 दिनों के लिए 509 ज़िला प्रशासन और उन हज़ार अधिकारीयों के विभाग जिन्हें छोड़कर वो प्रचार में व्यस्त होंगे ठप रहेंगे। टैक्स के रूप में जनता से वसूले गए पैसे के दुरुपयोग के बेहतरीन उदाहरण में मोदी सरकार के इस कदम को गिना जा सकता है।

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