त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने का विवाद बढ़ता जा रहा है। पहले राम माधव ने ट्वीट किया कि ‘लोग लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की चर्चा कर रहे हैं, रूस नहीं ये त्रिपुरा है, चलो पलटाई।’

और अब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर का कहना है कि ‘सरकार हर तरह की हिंसा की निंदा करती है लेकिन, विदेशी नेताओं की मूर्तियां के लिए भारत में कोई स्थान नहीं है।’

अब सवाल उठता हैं कि भारत में कई ऐसे नेता है जिनकी मूर्तियां भारत में लगी हैं, क्या उन सब को तोड़ देना चाहिए? मूर्तियों को तोड़ देने से देश का क्या भला होगा? जिल लेनिन की मूर्ति को त्रिपुरा में तोड़ा गया है उसकी मूर्ति दिल्ली के नेहरू पार्क में भी है, क्या बीजेपी उस मूर्ति को भी तोड़ देगी?

विदेशी नेताओं की मूर्तियों से बीजेपी का क्या नुकसान हो रहा है? अगर विदेशी नेताओं से दिक्कत है तो सिर्फ मूर्ति ही क्यों कॉलेजों और स्कूलों की सिलेबस में भी उन्हें न पढ़ाया जाए? देश में जितनी भी सड़कों के नाम विदेशी नेताओं पर सबके नाम बदल दिए जाएं?

क्या इतना कुछ कर सकती है बीजेपी? अगर नहीं कर सकती तो इस तरह के बेतुके बयानों का कोई फायदा नहीं है।

बता दें कि पांच मार्च को त्रिपुरा के बेलोनिया शहर के सेंटर ऑफ कॉलेज स्कॉयर में खड़ी लेनिन की प्रतिमा को जेसीबी मशीन से गिरा दिया। लेनिन रूस में बोल्शेविक क्रांति के नेता एवं रूस में साम्यवादी शासन का संस्थापक थें।

जिस प्रतिमा को तोड़ा गया है उसे 2013 में CPIM ने लगावाया था। 11.5 फुट फाइबर ग्लास से बने इस प्रतिमा को बनाने में तीन लाख रुपए का खर्च आया था।

सोशल मीडिया पर सुबह से ही #Lenin ट्रेंड कर रहा है। कुछ लोग प्रतिमा गिराए जाने का समर्थन कर रहे हैं वही ज्यादातर लोग इसकी निंदा कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने की वीडियो शेयर की जा रही है। इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रतिमा
गिरने का जश्न मनाने वाले लोगों ने बीजेपी की टोपी पहनी हुई है। ये लोग मूर्ति गिराते वक्त भारत माता की जय के नारे लगाए जा रहे थें।

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