मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। पॉलिटिकल पंडितों का कहना है कि इसबार का चुनाव शिवराज सिंह चौहन के लिए आसान नहीं होगा। 2005 में अबतक शिवराज सिंह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। यानी सीएम शिवराज पर वहां की जनता ने तीन बार भरोसा दिखाया है।

लेकिन इसबार जनता नाराज है और शिवराज सिंह डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं। पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देना भी इसी डैमेज कंट्रोल का हिस्सा है। तीन अप्रैल को शिवराज सरकार ने आदेश जारी करते हुए पांच बाबाओं नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबाजी, भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया।

सबसे ज्यादा चर्चा कंप्यूटर बाबा की हो रही है। इसका कारण है कंप्यूटर बाबा का Undo (CTRL+Z) हो जाना यानी अपनी बात से पलट जाना। दरअसल कंप्यूटर बाबा सरकार के खिलाफ ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने वाले थे, लेकिन सरकार के राज्यमंत्री बनाते ही उनके सुर बदल गए हैं।

आज तक में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, कंप्यूटर बाबा ने कुछ समय पहले पोस्टर जारी कर नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। यह यात्रा 1 अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश भर में निकाली जानी थी। लेकिन अब उनका कहना है कि घोटाले की बात का कोई सवाल नहीं उठता, हम जनजागरण करेंगे।

इस यात्रा के तहत वृक्षारोपण घोटाला, नर्मदा अवैध खनन, नर्मदा परिक्रमा घोटाला, गौमाता संरक्षण आदि जैसे मामलों को उठाया जाना था। इस यात्रा के संजोयक थे योग्रेंद्र महंत जिन्हें अब कंप्यूटर बाबा से साथ राज्यमंत्री का दर्जा मिल चुका है।

आपको बता दें कि बाबाओं के नेतृत्व में 28 मार्च को संत समाज के साथ बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि प्रदेश के 45 जिलों में 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराई जाएगी और घोटाले को उजागर किया जाएगा. इसी के तहत कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालेंगे।

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