देश में एक तरफ जहां आर्थिक मंदी बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ जीडीपी सेवा क्षेत्र में सुस्ती, निवेश में कमी और मांग के चलते इसका सीधा असर देश की जीडीपी पड़ सकता है। ऐसा दावा किया है Moody’s रेटिंग एजेंसी ने।

Moody’s ने 2019 के लिए भारत का GDP ग्रोथ अनुमान घटा दिया है। पहले एजेंसी ने इसे 6.8 प्रतिशत पर रखा था, जिसे घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया गया है।

दरअसल Moody’s से पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने भी भारत की जीडीपी ग्रोथ घटने की बात कही थी। नोमुरा के अनुसार भारत की जीडीपी 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है। अगर नोमुरा सच होता है मोदी सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

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दरअसल नोमुरा के अपनी रिसर्च में कहा है कि सेवा क्षेत्र में ख़राब प्रदर्शन, निवेश में कमी और बाहरी क्षेत्र में सुस्ती के चलते खपत में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जिसके चलते जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा कि इस साल की दूसरी तिमाही (अप्रैल- जून) में सुस्ती के बावजूद जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यस्था में कुछ सुधार आने की उम्मीद है।

गौरतलब हो कि इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त होकर 6.8 फीसदी पर आ गई थी। ये साल 2014-15 के बाद सबसे जीडीपी का सबसे निचले स्तर पहुँच चुकी है। रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि ग्राहकों के विश्वास में कमी आई है। साथ ही विदेशी निवेश में भी गिरावट दर्ज की गई है।

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मोदी सरकार ने जीएसटी की दरों को बढ़ाते हुए एक साथ कई सेक्टरों को झटका दिया है। इनमें ऑटो सेक्टर से लेकर टेलिकॉम सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर, और आईटी सेक्टर शामिल है।

बता दें कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार देती है। साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है। लेकिन मौजूदा समय में टेक्सटाइल इंडस्ट्री का दावा है कि वह संकट से ग़ुज़र रही है। इस संकट की ओर सरकार का ध्यान खींचने के लिए ही इंडस्ट्री ने अख़बार में ये विज्ञापन दिया है। इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार दिक्कतों को हल करने की दिशा में ज़रूरी कदम उठाए।

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