देश में एक तरफ जहां गाय को लेकर आये दिन गौरक्षकों का आतंक देखने को मिलता है। वहीं दूसरी तरफ मरती गायों की कोई ख़बर लेने वाला तक नहीं है। कई प्रदेशों में गोरक्षा के लिए जहां गौशाला खोली जा रही हैं लेकिन इन्ही गौशालाओं में ही गाय सुरक्षित नहीं हैं।
रानी पद्मावती के नाम पर विरोध करने वाले राज्य में पिछले 4 महीनों में करीब 150 से ऊपर गायों ने दम तोड़ दिया है।
ताजा मामला हरियाणा के अंबाला जिले के सुल्लर गांव का है, यहाँ पिछले चार महीने में 150 से ज्यादा गाय बीमारी और चारा ना मिलने से मर गईं। गौशाला की हालत इस कदर ख़राब हो चली है कि लाखों रूपया लगाकर भी गाएं मर रही हैं,
न प्रशासन को इसकी कोई फ़िक्र है और न ही उन गोरक्षकों को, जो गौरक्षा का हवाला देकर मासूम लोगों को मौत के घाट उतार देते है।
खट्टर सरकार जहां एक तरफ स्कूलों में गायत्री मंत्र का जाप अनिवार्य करवा रही है, मगर गाय पर राजनीती करने वाले ही गायों की रक्षा नहीं कर पा रहे। गाय को माँ कहने वालों को इस मामले पर नींद तब टूटी जब स्थानीय अख़बारों ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया।
कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा ने गौशाला का दौरा किया और दो अधिकारियों को सस्पेंड कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली।
मगर सिर्फ ससपेंड कर देने से मंत्री जी की जवाबदेही पूरी हो जाती है? उनकी 150 गायों की मौत पर कोई भी जवाबदेही नहीं बनती है? उन्हें इसका जवाब देना चाहिए की जब सरकार ने जनता का पैसा लगाकर गौशाला बनवाई तो उसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी किसकी होती है?