दो अप्रैल को दलित संगठनों ने ‘भारत बंद’ का आवाहन किया था। दलित समाज ने ये बंद Sc/St (अत्याचार निरोधक) एक्ट में हुए बदलाव के विरोध में किया था। ‘भारत बंद’ के दौरान जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन की भी खबरें भी आईं। हिंसा किसने-किसने किया है इसकी सच्चाई अब धीरे धीरे सामने आ रही है।

देशभर में हुए हिंसा के लिए सिर्फ दलितों को आरोपी बनना सही नहीं होगा। क्योंकि कई जगह हिंसा में कथित अगड़ी जाति के लोग शामिल थे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक वीडियो सामने आयी जो हिंसा में अगड़ी जाति के शामिल होने की गवाही देता है।

इस वीडियो में एक व्यक्ति हाथ में पिस्तौल लिए गोली चला रहा है। इसे शुरु में दलित बताया गया। लेकिन दलित एक्टिविस्ट देवाशीष जरारिया ने इस व्यक्ति की पोल खोलने का दावा करते हुए उसकी असली पहचान ग्वालियर के राजा सिंह चौहान के तौर पर बताई है।

देवाशीष जरारिया के मुताबिक, यह व्यक्ति स्कूल में उनका सीनियर रहा है और बंद को बदनाम करने के लिए उसने गोली चलाकर तीन लोगों की हत्या कर दी। हैरानी की बात तो ये है कि राजा सिंह चौहान अभी खुला घूम रहा है। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश की पुलिस ने राजा सिंह चौहान पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

वही भारत बंद के दौरान प्रदर्शन करने वाले दलित युवाओं को पुलिस ने जमकर पीटा है। क्या पुलिस की लाठी दलितों को पहचनाती है? कल प्रदर्शन के दौरान की एक और वीडियो वायरल हो रही है, इस वीडियो दिख रहा है कि कैसे यूपी पुलिस बीएसपी के पूर्व विधायक को लात मारकर गाड़ी में बैठा रही है।

जबकी पूर्व विधायक खुद बिना किसी विरोध के अपनी गिरफ्तारी दे रहे थें। क्या योगेश वर्मा योगी सरकार की पुलिस ने इसलिए लात मारा क्योंकि वो दलित हैं? और क्या शिवराज सरकार की पुलिस राजा सिंह चौहान को इसलिए गिरफ्तार नहीं कर रही है क्योंकि राजा सिंह कथित उंची जाति से संबंध रखता है?

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