केंद्र की मोदी सरकार भले ही जीडीपी के बढ़ते आंकड़े देश के सामने पेश कर ख़ूब वाहवाही लूट रही हो लेकिन यह आंकड़े ज़मीनी हक़ीकत से कितने करीब हैं इसपर अब सवाल उठ रहे हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की एक समिति ने मसौदा रिपोर्ट में देश की जीडीपी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धति को कटघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी आंकलन के लिए तैयार की गई प्रणाली की समीक्षा की ज़रूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विस्तृत जांच पड़ताल से जीडीपी आंकलन के तरीके में कई कमियां पाई गईं। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह पाया गया कि प्राकृतिक संसाधन में कमी को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
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इसके अलावा इसमें इस बात के आंकलन का कोई तरीका नहीं है कि जीडीपी में वृद्धि से क्या लोगों की खुशहाली भी बढ़ती है।
रिपोर्ट में समिति ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जीडीपी आंकलन के लिए तैयार की गई प्रणाली की समीक्षा की ज़रूरत है। इसमें जमीनी हकीकत का पता चलना चाहिए।
लेकिन समीक्षा के मुद्दे पर बीजेपी एकजुट नहीं दिखी। आंकलन समिति के सामने पेश की गई रिपोर्ट को लेकर समिति में शामिल बीजेपी सांसद के बीच मतभेद हो गया।
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जहां जोशी रिपोर्ट स्वीकार करने के पक्ष में थे वहीं बीजेपी के निशिकांत दुबे की अगुवाई में पार्टी के अन्य सदस्यों ने इसका पुरजोर विरोध किया।
बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि बैठक में जोशी का उनकी ही पार्टी के सांसदों ने विरोध किया वहीं विपक्षी दलों के सांसदों ने उनका समर्थन किया। जब बीजेपी सांसदों ने विरोध किया तो जोशी ने इसे समिति के नियम के खिलाफ बताया और कहा कि एक सप्ताह के अंदर इसपर सुझाव दें।