केंद्र की मोदी सरकार पीआर के जरिए देश में अपना गुणगान खुद कर रही है, जबकि हकीकत कुछ और बयान कर रही है। देशभक्ति की तथाकथित लौ जगाने वाली बीजेपी सेना के नाम पर चुनावों में वोट तो मांगती है, लेकिन सेना को ही अब दरकिनार किया जा रहा है। मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने नौसेना का बजट 5 प्रतिशत घटा दिया है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने देश के समक्ष समुद्री चुनौतियों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि, “नौसेना को अपनी क्षमता निर्माण के लिए एक सुनिश्चित बजट समर्थन की आवश्यकता है।“

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एडमिरल करमबीर ने कहा, “2012-13 में रक्षा बजट में नौसेना का आवंटन 18 प्रतिशत था, जो अब घटकर 13 प्रतिशत हो गया है। इससे भविष्य की योजना और क्षमता विकास प्रभावित हो रहा है।”

वहीं नौसेना प्रमुख ने रक्षा कूटनीति कोष स्थापित करने का भी आह्वन किया। उन्होंने कहा, इस तरह से हमें 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं जो देश को आश्वस्थ करने में मुश्किल हो रही है और समुद्री मोर्चे पर प्रोत्साहन की जरुरत है।

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नौसेना प्रमुख ने इस बात को स्वीकार किया कि बजट की कमी की वजह से सेना को अपनी कई परियोजनाओं को रोकना पड़ा। उन्होंने कहा, “बजटीय आवंटन की वजह से हमें अपनी खरीद योजना में थोडा सुधार करना पड़ा है। हां बजट की कमी की वजह से हमें कुछ हद तक सिमित कर दिया है।” एडमिरल करमबीर सिंह ने ये सभी बातें पूर्व सेना प्रमुख जनरल बी सी जोशी की याद में एक कार्यक्रम के दौरान कहीं।

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