केन्द्र की मोदी सरकार नहीं चाहती कि कलबुर्गी हत्याकांड की जांच एनआईए करे। सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) विद्वान एम एम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच नहीं कर सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय आतंकवाद के मामलों की जांच करने वाली विशेष एजेन्सी है।

बता दें, कि कलबुर्गी की कर्नाटक के धारवाड़ में 2015 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष केन्द्र ने ये बात रखी।

गौरतलब है कि कलबुर्गी एक विद्वान और तर्कवादी थे। वो धर्म में आडम्बर और कट्टरता के कड़े आलोचक थे। उनकी हत्या में कट्टरवादी हिन्दू संगठनों के हाथ होने का शक है।

पीठ कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी कलबुर्गी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी कलबुर्गी का आरोप है कि इस हत्याकांड की जांच में अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पति और बौद्धिक तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या में बहुत अधिक समानता है। नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे भी धार्मिक कट्टरता के आलोचक थे।

कलबुर्गी की पत्नी ने याचिका में कहा है कि दाभोलकर और पानसरे हत्याकांड की जांच की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है और हत्यारों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। याचिका में कहा गया है कि 2016 में कर्नाटक के तत्कालीन गृहमंत्री ने एक बयान में दावा किया था कि घटनास्थल से बरामद कारतूसों के फॉरेंसिक विश्लेषण से पता चलता है कि तीनों हत्याओं में संबंध है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि पानसरे की हत्या में प्रयोग हुए एक हथियार का इस्तेमाल कलबुर्गी की हत्या में भी इस्तेमाल हुआ था। इसलिए महाराष्ट्र और कर्नाटक पुलिस के अलावा सीबीआई और एनआईए के बीच सामंजस्य की आवश्यकता है।

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