बीते लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में BJP के लिए प्रचार करने वाले निभाष सरकार उर्फ भगवान हनुमान ने ज़हर खाकर ख़ुदकुशी कर ली है। दावा किया जा रहा है कि निभाष ने ख़ुदकुशी इसलिए की क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि उनका नाम NRC में नहीं आएगा।
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार दोपहर को निभाष ने ज़हर उस वक्त खाया जब वह हंसखाली गांव स्थित अपने घर पर मौजूद थे। निभास के भाई प्रलब ने बताया कि वह बाथरूम में गए थे और थोड़ी ही देर बाद हाथ में एक शीशी लेकर निकले। बाहर निकलते ही उन्होंने कहा, मैंने जहर खा लिया है, क्योंकि वह जीवन से तंग आ गए हैं।’ जिसके बाद उन्हें तत्काल कृष्णानगर स्थित अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बीच में ही उनकी मौत हो गई।
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नेशनल हेरल्ड ने निभाष के पड़ोसी दीपक रॉय के हवाले से बताया है कि खुदकुशी की वजह एनआरसी में नाम न आने की आशंका है। दीपक का कहना है कि, “यहां बहुत सारे बांग्लादेशी शरणार्थी हैं। और उन्हें एनआरसी शब्द से खौफ आ जाता है, क्योंकि असम में तो करीब 12 लाख हिंदू भी एनआरसी से बाहर हो गए हैं। वे लोग घबराए हुए हैं, लेकिन कर भी क्या सकते हैं। उनके पास कोई दस्तावेज़ तो हैं नहीं। निभाष के साथ भी ऐसा ही था। इसीलिए उसने खुदकुशी की”।
हालांकि निभाष के परिजनों ने दीपक के दावे को ग़लत बताया है। निभाष के भाई प्रलब का कहना है कि निभाष ने ख़ुदकुशी की वजह एनआरसी को नहीं बताया, उसने ज़हर खाने के बाद बस इतना कहा था कि वह अपने जीवन से बहुत दुखी है, जिसके चलते उसने ये कदम उठाया।
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वहीं विपक्षी नेता भी ये दावा कर रहे हैं कि निभाष ने अमित शाह के बयान के बाद एनआरसी के डर से खुदकुशी की है।इन विपक्षी नेताओं में सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम और सीपीएम के जिला सचिव सुमित डे का नाम शामिल है।
कौन थे निभाष सरकार?
निभाष सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता और जात्रा आर्टिस्ट भी थे। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने टि्वटर पर उनकी एक हनुमान के भेष वाली फोटो डाली थी, जिसके बाद से वे भगवान हनुमान के नाम से काफी लोकप्रिय हो गए थे। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान रानाघाट में भाजपा के मौजूदा सांसद जगन्नाथ सरकार के लिए चुनाव प्रचार किया था।