राम मंदिर ट्रस्ट पर राम जन्मभूमि की जमीन खरीदने में भ्रष्टाचार के आरोप गहराते जा रहे हैं। तमाम साधु-सन्यासियों ने भी अब राम जन्मभूमि से संबंधित घोटाले में उच्च स्तरीय जांच की मांग शुरू कर दी है।

शुक्रवार 18 जून, 2021 को अयोध्या में सभी अखाड़ों और साधुओं की बैठक के बाद साधुओं में राम मंदिर ट्रस्ट के घोटालों में सम्मिलित होने से अच्छी खासी नाराजगी थी।

साधुओं ने मामले की कड़ी जांच और आरोपियों को सज़ा तक दिलवाने की बात की।

निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्मदास ने कहा है कि, “लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए जितना भी चंदा अपनी श्रद्धा से भेजा है, ट्रस्ट उसका गलत उपयोग कर रहा है।

राम मंदिर ट्रस्ट भ्रष्ट है और जो जो इस ट्रस्ट से जुड़े हैं सबके अपने स्वार्थ हैं, इसलिए यहां इतने बड़े स्तर का घोटाला हो रहा है।“

उन्होंने आगे कहा कि लोगों ने राम मंदिर के लिए, साधुओं की सेवा के लिए और गौसेवा के लिए चंदे दिए हैं ना कि जमीनी घोटाला, होटल बिजनेस जैसी चीजों के लिए।

रघुवंश संकल्पसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी दिलीप दास महराज ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति कोविंद और सर्वोच्च न्यायालय से उचित और कड़ी जांच की गुहार लगाते हुए कहा है कि अयोध्या की गरिमा के साथ जो अत्याचार हो रहा है, राम जन्मभूमि में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, इनकी उच्च स्तरीय जांच हो।

जांच में दोषी पाए जाने वालों को सज़ा हो अथवा झूठे आरोप लगाने वालों पर जुर्माना लगाया जाए।

दिलीप दास महराज ने आगे कहा कि, “श्री राम अबोध बालक हैं, उनकी जन्मभूमि के साथ इस तरह का भ्रष्टाचार होना पाप है।”

निर्मोही अखाड़ों के प्रवक्ता महंत सीताराम दास ने कहा कि उन्हें ट्रस्ट के लोगों पर शुरू से ही शक था और वो शक ये घोटाले देख कर सच हो चुका है।

विश्व हिंदु परिषद के नेता और ट्रस्ट के मुख्य सचिव चंपत राय की बात करते हुए महंत सीताराम दास ने यहां तक कह दिया कि उन्हें चंपत राय पर सबसे ज्यादा संदेह है। पता नहीं उन्हें क्या सोचकर सचिव का पद दिया गया।

साधुओं और अखाड़ा प्रमुखों की बात सुनकर इतना तो जरूर स्पष्ट था कि उनके मन में अब राम मंदिर ट्रस्ट के लिए जरा भी भरोसा नहीं बचा है।

तभी तो महंत सीतराम दास ने कहा कि राम मंदिर निर्माण कभी भी विश्व हिंदु परिषद का मुद्दा नहीं था। राम मंदिर के लिए अनेक सन्यासियों ने बलिदान दिए हैं।

14 जून को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने प्रेसवार्ता कर इस मामले की शुरूआत की। उन्होंने दावा किया की अयोध्या की राम मंदिर निर्माण की जमीन 2 करोड़ में कुसुम और हरीश पाठक नाम के दंपत्ति से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने खरीदी।

इस डील के गवाह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा बने। पाठक दंपत्ति के जमीन बेचने के 5 मिनट के भीतर ही विहिप नेता और राम मंदिर ट्रस्ट के मुख्य सचिव चंपत राय ने 18.5 करोड़ रूपयों में वही जमीन खरीदी।

मामले में अब तक कोई आधिकारिक जांच नहीं हुई है। वहीं संजय सिंह की प्रेसवार्ता के बाद से पाठक दंपत्ति और विहिप नेता चंपत राय दोनों ही संपर्क के बाहर हैं।

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