देश की आर्थिक स्थिति बेहद नाज़ुक है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर करीब 6 साल में सबसे कम होकर 5 फीसदी पर पहुंच गई है। एक साल में ही जीडीपी में 3 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन सरकार और उससे जुड़ी संस्थाएं अभी भी आर्थिक संकट की स्थिति से इनकार कर रही हैं।

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने लाइव मिंट की एक ख़बर को शेयर कर मंदी की ख़बरों पर सवाल खड़े किए हैं। दरअसल, लाइव मिंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑटो सेक्टर में अगर पुरानी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स दिक्कतों का सामना कर रही हैं तो इलेक्ट्रिक वाहनों वाली नई यूनिट्स का विस्तार हो रहा है।

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इसी रिपोर्ट को ट्विटर से शेयर करते हुए अमिताभ कांत ने लिखा, “क्या मंदी? दिलचस्प नए मॉडल के साथ नए ऑटो प्रवेशक मंडरा रहे हैं!” अमिताभ कांत अपने इस ट्वीट के ज़रिए कहना चाहते हैं कि देश में कोई मंदी नहीं है, अगर पुरानी कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं तो नई कंपनियां आ रही हैं।

अमिताभ कांत के इस ट्वीट का सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक बनाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता अंकित लाल ने ट्वीट कर लिखा, “डियर नरेंद्र मोदी कृप्या इन्हें वित्त मंत्री बना दीजिए। वह सामने झूठ बोल सकेंगे, कम से कम वह निर्मला सीतारमण जी की तरह झूठ बोलने से पहले पानी तो नहीं मांगेगे”।

वहीं पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने अमिताभ कांत के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “अफसोस की बात है कि मंदी आपके कई नौकरी एक्सटेंशन की तरह नहीं है”। 

बता दें कि GDP के साथ ही कोर सेक्टर ग्रोथ में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जुलाई में कोर सेक्टर ग्रोथ रेट 2.1 फीसदी पर पहुंच गया है। पिछले साल कोर सेक्टर की विकास दर 7.3 थी लेकिन इस साल इसमें करीब तीन चौथाई की गिरावट दर्ज की गई है।

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कोर सेक्टर में बिजली, स्टील, रिफाइनरी प्रोडक्ट, क्रूड ऑयल, कोल, सीमेंट, नेचुरल गैस और फर्टिलाइजर सेक्टर शामिल हैं। सोमवार को आए नए पीएमआई आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आठ कोर सेक्टर में से 5 में जबरदस्त गिरावट हुई है।

आर्थिक विकास दर में गिरावट के फैक्टर्स में ऑटो सेक्टर में आई मंदी को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। बता दें कि देश में ऑटो सेक्टर की प्रमुख कंपनियां इस वक्त मंदी की मार से परेशान हैं। मंदी के चलते मारूती, टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों की कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स बंद हो चुकी हैं। जिससे तकरीबन 10 कर्मचारियों की नौकरी ख़तरे में आ गई है।

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