जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और अन्य भाजपा नेता देश की कई समस्याओं के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु को ज़िम्मेदार ठहराते हैं उन्ही से सीख लेते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने देश की ख़राब आर्थिक हालातों का ठीकरा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पर फोड़ा है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि विकास दर में गिरावट नोटबंदी की वजह से नहीं आई, बल्कि ऐसा एनपीए समस्या की वजह से हुआ।

उन्होंने इसके लिए यूपीए सरकार और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं कि नोटबंदी और विकास दर गिरावट के बीच कोई संबंध है।

राजीव कुमार ये बयान तब दे रहे हैं जब हाल ही में संसद की स्थायी समिति ने मसौदा रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी का निर्णय व्यापक प्रभाव वाला था। इससे नकदी की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम-से-कम एक प्रतिशत की कमी आयी और असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी।’’

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इसके अलावा आरबीआई ने हाल हे में एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि नोटबंदी और जीएसटी ने देश के एमएसएमई यानि छोटे कारखानें और व्यापार को लाखों करोड़ रुपयें का नुकसान पहुँचाया है और बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार किया है।

गौरतलब है कि देश में 6 करोड़ 30 लाख एमएसएमई इकाईयां हैं। ये क्षेत्र देश की जीडीपी में 30% का योगदान देता है। देश का 45% उत्पादन इन्ही एमएसएमई इकाईयों में होता है। निर्यात में इस क्षेत्र का 40% का योगदान है।

बता दें, कि रघुराम राजन के आरबीआई गवर्नर रहते मोदी सरकार के साथ उनके संबंध कटु थे। कई बार राजन ने पद पर रहते हुए सरकार के क़दमों की आलोचना की थी। रघुराम राजन ने गवर्नर रहते हुए नोटबंदी के कदम का भी विरोध किया था।

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