जो बिहार से नहीं हैं उनके लिए बिहार का एक मतलब लालू प्रसाद यादव होता है। समाजिक न्याय के पुरोधा के रूप में पहचाने बनाने वाले लालू यादव लगातार दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। अपने कार्यकाल के दौरान लालू यादव बिहार के दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के हित में कई फैसले लिए।
राज्य में कोई दंगा न हो इसके लिए लालू यादव ने देश के बड़े से बड़े हिंदुवादी नेताओं से लोहा लिया। लेकिन आज बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है और राज्य के 5 जिले दंगों के आज में जल रहे हैं। यानी बिहार इन दिनों दंगों की फैक्ट्री बन गई है। 11 दिन पहले भागलपुर में एक छोटी सी बात पर ऐसा दंगा भड़का की आज पांच शहरों (भागलपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर, मुंगेर और नालंदा) को जला रहा है।
चुनाव जीतने के इस नए राजनीतिक मॉडल के सामने सुशासन बाबू नीतीश कुमार लाचार नजर आ रहे हैं, क्या यही है बिहार का गुजरात विकास मॉडल?
आज जब बिहार जल रहा है तो कई लोगों को 1990 की रथयात्रा याद आ रही है जिसे लालू यादव ने अयोध्या पहुंचने से पहले ही बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया था। आडवाणी को 23 अक्टूबर 1990 में बिहार के समस्तीपुर जिले से गिरफ्तार किया गया था। आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली थी। यात्रा के दूसरे चरण में रथ को बिहार से होकर जाना था। उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे।
आडवाणी की यह रथयात्रा देश के जिस कोने से निकलती वहां दंगा होता, जानें जाती लेकिन लालू अपने बिहार में दंगा नहीं चाहते थें। बिहार में रथयात्रा घुसने से दो दिन पहले लालू ने आडवाणी से मुलाकात की और रथयात्रा को बिहार न ले जाने को कहा। आडवाणी नहीं माने तो लालू यादव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह से मदद मांगी।
एयरफोर्स और पैरा मिलिट्री फोर्स के 2000 जवानों की मदद से लालू ने आडवाणी को गिरफ्तार किया और बिहार को जलने से बचा लिया। आडवाणी की गिरफ्तारी के साथ ही केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी, क्योंकि भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया था।
लेकिन आज बिहार को जलता देख नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं? ऐसे में सवाल तो उठता ही है कि आज अगर लालू यादव जेल के बाहर होते तो क्या करतें? क्या लालू के जेल में होने की वजह से बिहार में दंगाईयों के हौंसले बुलंद हैं?