नौकरीपेशा लोगों का एक बड़ा तबका प्राइवेट सेक्टर में काम करता है। प्राइवेट सेक्टर में सिमित नौकरियों का सृजन हो रहा है और जो नौकरियां हैं वो मंदी की वजह से जा रही हैं। ऐसे में यूपी की भाजपा नित योगी सरकार ने बिजली की कीमतें बढ़ा कर जनता को जोर का झटका दिया हैं। बढ़ी बिजली दरों की वजह से किसानों और माध्यम वर्गीय लोगों पर खासा असर पड़ने वाला है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यूपी में बिजली की दरें 12 से 15 फीसदी महंगी करने का फैसला किया है। सरकार ने मंगलवार को नौ दरों का ऐलान कर दिया है। घरेलू बिजली दरें 12 फीसदी तक बढ़ी गई हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र में 10 फीसदी बढाई गई है। ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 से बढाकर 500 कर दिया गया है।

बहुत हुई महंगाई की मार, अब की बार भाजपा सरकार के नारे के साथ केंद्र की सत्ता में आए पीएम मोदी भी अब जनता पर चौतरफा महंगाई पर नहीं बोल रहे। पिछले कुछ दिनों में भाजपा सरकार ने बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर पर 15 रुपये, योगी सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल पर 2।40 रुपये बढ़ाये हैं।

वहीं भारत की जीडीपी 5 प्रतिशत पर आने के बाद वैसे ही जनता के पास नौकरी और नकदी से जूझना पड़ रहा है। मगर सरकार जनता को राहत देने की बजाय और महंगाई दे रही है।

बसपा प्रमुख मायावती ने बढ़ी बिजली दरों पर ट्वीट करके नाराजगी जताते हुए कहा है कि, “यूपी की बीजेपी सरकार द्वारा बिजली दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा और उनका जीवन और भी ज्यादा मुश्किल होगा। सरकार इसपर तुरंत पुनर्विचार करे, यह बेहतर होगा।”

बता दें कि हल ही में बिजली दरों को लेकर राज्य विद्युत् उपभोक्ता परिषद ने ऐलान किया था कि किसी भी हालत में बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने दी जाएगी, लेकिन ऐसा नही हुआ। सरकार ने आखिर परिषद के दावों को दरकिनार कर दिया। जनता के इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियाँ सरकार पर आक्रामक रूप से हमलावर हैं।

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