एक साल, योगी सरकार: ‘योगीराज’ में जमीनी विकास अभी भी गुम है

एक मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्रियों, 22 कैबिनेट मंत्रियों, 13 राज्यमंत्रियों तथा 9 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों से सजी योगी सरकार ने आज ही दिन यानी एक साल पहले 19 मार्च 2017 शपथ ली थी. इसके साथ ही सरकार ने काम करना शुरू कर दिया.

उत्तर प्रदेश की जनता ने चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सिर-आखों पर बैठाया और सत्ता की चाभी 325 विधायकों के साथ सौंप दी. भाजपा को आम चुनावों के तीन साल बाद विधानसभा चुनावों में भी प्रदेश की जनता ने खूब सराहा है. इसका परिणाम यह था कि प्रदेश को पिछले 40 सालों की संख्या बल के हिसाब से सबसे सशक्त सरकार मिली.

गोरखपुर के गोरक्षनाथ पीठ के मठाधिश्वर महंथ योगी आदित्यनाथ को इस राज्य में शांति और विकास मठ को कायम करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें सत्ता सौंपी और मुख्यमंत्री बनाया. योगी सरकार ने जैसे ही कुर्सी पर बैठी, उसने तुरंत कई धुँआधार फैसले लिए.

इनमें सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ़ करना, अवैध बुचड़खाने बंद करवाना, पिछली सरकार में हुई धांधलियों और अनियमित की जाँच के साथ-साथ प्रदेश में कानून व्यवस्था कायम करना और अपराधियों को जेल या प्रदेश के बाहर भेजना. इसके साथ ही सरकार ने सौ दिन के भीतर प्रदेश को गढ्ढा मुक्त सड़कें देने का वायदा किया और महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉयड का गठन जैसी तमाम योजनाएं हैं.

सरकार ने अंत में आते-आते देश की सबसे बड़ी निवेशी योजना लागू करने का दावा किया, जोकि करीब 4 लाख 70 हजार करोड़ के निवेश की बात करती है. खैर, होली के बाद गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए चुनावों में हार ने भाजपा के स्टार प्रचारक और प्रदेश के मुखिया के जश्नी रंग भंग डालने का काम किया.

एक साल, नई मिसाल से लक्ष्य आम चुनाव

खैर, योगी सरकार करीब डेढ़ महीने भर से अपने एक साल पूरा होने का जश्न मना रही है. योगी सरकार इस जश्न को उत्सव के रूप में बदलकर अगले आम चुनावों के लिए निशाना साधने की कोशिश कर रही है. इस उत्सव की शुरुआत 19 मार्च से लखनऊ के रमाबाई मैदान से होगी, जिसमें भाजपा के कई राष्ट्रीय नेताओं के शामिल होने की बात हो रही है. इसके बाद 26 मार्च से 14 अप्रैल तक सारे जिला मुख्यालयों में और 14 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ब्लाक और ग्राम पंचायतों के स्तर तक सरकार के एक साल पूरा होने का जश्न मनाया जाएगा. इन कार्यक्रमों को ‘लोक कल्याण मेला’ नाम दिया गया है.

खैर, अब उन मुद्दों और घोषणाओं की पड़ताल करते हैं, जिनका सरकार ने बहुत ज्यादा ब्रांडिंग की है… योगी सरकार के लिए 5 मुद्दे सबसे ज्यादा अहम रहे. जिनमें सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, किसान, कानून व्यवस्था और अवैध खनन और बूचड़खानों पर कार्रवाई है.

हम एक-एक करके इन सभी मुद्दों पर बात करेंगे और तथ्यों के आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि जो सपने सरकार ने लोगों को दिखाए थे वह जमीन पर कितना साकार हुआ है.

कानून व्यवस्था और अपराध…

अखिलेश सरकार में कानून व्यवस्था में गड़बड़ी के मुद्दे को अपना खेवनहार बनाकर सत्ता में आई योगी सरकार ने प्रदेश में क़ानून का राज कायम करने के लिए खूब प्रयासरत दिखी. सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में 1400 से ज्यादा इनकाउंटर करवाए और छोटे-बड़े अपराधियों को या तो मौत के घाट उतार दिया या उन्हें जेलों में भर दिया गया.

लेकिन कानून व्यवस्था सुधरने के नाम पर सरकार के ये इनकाउंटर कभी मानवाधिकार तो कभी विपक्ष के घेरे में आते रहे. इनमें से कई इनकाउंटर्स पर मानवाधिकार आयोग जाँच कर रहा है. इसके साथ ही विपक्ष इन सभी की जाँच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहा है.

महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर एंटी रोमियो स्क्वॉयड का गठन हुआ लेकिन कई महिला कॉलेजों के सामने आज भी छेड़खानी की घटनाएं सामने आती हैं.

प्रदेश के हर कोने से आई लूट, वारदात, अपराध और चोरी की ख़बरें आज भी अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित की जाती हैं.

सड़क और परिवहन…

योगी सरकार की तरफ से दिए गये विज्ञापनों से आज के सारे अखबार भरे पड़े हैं. इसमें सड़क और परिवहन क्षेत्र के लिए सरकार ने दावा किया है कि एक लाख दस हजार किमी सडकों को गड्ढ़ा मुक्त किया जा चुका है. 1048 किमी की 110 नई सड़कों को पूरा किया गया.

इसके साथ ही परिवहन सेवा के बारे में कहा गया है कि 7583 गावों को बस सेवा से जोड़ा गया. जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तराखंड और हरियाणा के साथ एमओयू साइन करके बस सेवाओं को चलाया जा रहा है.

असल में, सड़कों को अभी तक गड्ढ़ा मुक्त नहीं किया जा सका है. प्रदेश की राजधानी में ही ऐसी हजार सड़कें आपको मिल जायेगी, जिसमें बड़े-बड़े गड्ढें हैं. जहां तक दावा रहा नई सड़कों का तो ये काम अखिलेश सरकार से ही चल रहे हैं.

परिवहन व्यवस्था का हाल अभी भी डांवाडोल ही है. यात्रियों को रोज़ बस में या सड़कों पर असहज स्थितियों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने इस क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं जरुर की हैं लेकिन अभी वह जमीन पर उतरती नहीं दिख रही हैं.

अवैध खनन और बूचड़खाने…

जब प्रदेश में योगी सरकार बनी तो प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से चल रहे बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू की, इसके साथ ही छिटपुट मांस की दुकानों को भी दायरे में लगाया गया और उनके भी बंद करवाया गया. कुछ दुकानें तो महज इसलिए बंद करवा दी गयी क्योंकि उनका लाइसेंस का रीन्यूवल नहीं हो सका था.

बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई के कारण एक समाज ने इसे बड़े बहस में बदल डाला था. इसमें योगी सरकार के मंत्रियों को सामने आकर सफाई देनी पड़ती थी. इसके साथ इस बात को आज भी नहीं नकारा जा सकता कि प्रदेश में तमाम बुचड़खाने चोरी-छिपे संचालित किये जा रहे हैं.

अवैध खनन के मामले में सरकार आज भी पट्टों के निरस्तीकरण के अलावा कोई बहुत बड़ा काम नहीं कर पायी है. पट्टों के निरस्त होने के कारण बालू-मोरंग और गिट्टी के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसका प्रभाव उपचुनावों में जनता की नाराज़गी के रूप में देखने को मिला है.

स्वास्थ्य और शिक्षा…

सरकार के गठन के 6 महीने बाद ही सरकार को मुख्यमंत्री के क्षेत्र गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए लापरवाही के कारण 60 बच्चों की मौत से असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था. इस घटना ने सरकार के द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में किये गये कार्यों के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी की उस मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किये थे, जिसमें वह जेई और एईएस जैसी गंभीर बिमारियों से लड़ने के लिए तात्कालिक सरकारों पर सवाल खड़े किया करते थे. इसके बाद योगी सरकार इस मसले पर हरकत में आई और टीकाकरण शुरू किया गया. लेकिन जेई और एईएस के मामले में पूर्वांचल आज भी वहीं खड़ा है, जहां बहुत पहले खड़ा था.

इसके इतर लगभग सारे काम या घोषणाएं पुरानी सरकार की हैं, जिसे योगी सरकार धन देकर आगे बढ़ा रही है.

शिक्षा क्षेत्र में योगी सरकार की किरकिरी तब हुई, जब प्राइमरी स्कूलों में स्वेटर और जूते-मोज़े बाटने में प्रशासन स्तर पर ढ़िलाई बरती गयी. इस मामले में इतनी देर हो चुकी थी कि सरकार को मीडिया में कटघरे में खड़ा कर दिया.

इसके साथ ही प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए सरकार को कई बार अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़ा. अभी कुछ दिन पहले ही करीब 69 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति पर सरकार ने रोक लगा दी.

इस सरकार ने शिक्षा मित्रों के साथ कम से कम न्याय करने का काम किया. सभी जगह से बेसहारा हुए शिक्षा मित्रों को योगी सरकार ने 10 हजार रूपये मानदेय देने का किया. साथ ही सरकार दावा कर रही है कि आने वाले समय में खाली पड़े सभी पदों को भरने के साथ-साथ नई शिक्षा नीति लागू करके बड़ा परिवर्तन किया जाएगा.

अगर एक नज़र में कहा जाए तो योगी सरकार का एक साल मिलाजुला रहा है. सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतने की कोशिश कर रही है लेकिन आये दिन कुछ न कुछ गलत हो ही जा रहा है. इस बीच सरकार ने कई सुधारों को लागू करने का प्रयास भी किया है, जो समय की गर्त से धीरे-धीरे निकलकर जनता के जीवन को बदलेंगे. तब तक आप भी उत्सव मनाएं.

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